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उत्तर प्रदेश सरकार ने गौ कल्याण उपकर लगाने को मंजूरी दी

उत्तर प्रदेश सरकार ने गौ कल्याण उपकर लगाने को मंजूरी दी

लखनऊ डेस्क/ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पांच प्रस्तावों पर मुहर लगी। सबसे अहम फैसला यह है कि गायों के आश्रय स्थलों के वित्तीय प्रबंधन के लिए आबकारी विभाग शराब पर दो प्रतिशत ‘गौ कल्याण उपकर’ लगाएगा। सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के मुताबिक, आवारा गौवंश की समस्या के समाधान के लिए कदम उठाया गया है। हर जिले में ग्रामीण क्षेत्रों और नगरीय क्षेत्र में न्यूनतम 1000 निराश्रित पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनेंगे। इसके लिए मनरेगा के माध्यम से ग्राम पंचायत, विधायक, सांसद निधि से निर्माण कराया जाएगा। 100 करोड़ रुपये स्थानीय निकाय को सरकार ने दिए हैं।

उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी ग्रामीण निकायों (ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत) एवं शहरी निकायों (नगर पालिका, नगर निगम) में स्थायी गौवंश आश्रय स्थल बनाने एवं संचालन नीति के निर्धारण के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिली है। गौवंश आश्रय स्थलों के वित्तीय प्रबंधन के लिए आबकारी विभाग शराब पर दो प्रतिशत गौ कल्याण उपकर लगाएगा।

शर्मा ने बताया कि पुलिस और अग्निशमन सेवा के अफसरों व कार्मिकों के साथ ड्यूटी के दौरान होने वाली किसी दुर्घटना के लिए उन्हें अनुग्रह राशि प्रदान किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। 80 से 100 फीसदी तक अपंग होने पर 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। 70 से 79 फीसदी तक 15 लाख रुपये, 50 से 69 फीसदी तक 10 लाख रुपये की आर्थिक राशि प्रदान करने की स्वीकृति दी गई है।

उन्होंने कहा कि इससे पहले की व्यवस्था में पुलिस विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की ड्यूटी के दौरान मारे जाने पर उनके परिजनों को अनुग्रह राशि दी जाती थी। उनके परिवार को 40 लाख रुपये और उनके माता-पिता को 10 लाख रुपये दिए जाते हैं, लेकिन अग्निशमन के कर्मचारियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। यह व्यवस्था नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में केंद्र सरकार ने की है। प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र की नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में व्यवस्था का संज्ञान लेते हुए इसे लागू किया है।

उन्होंने यह भी बताया कि उप्र के 10 सेक्टरों में कार्यरत सर्तकता अधिष्ठान (विजिलेंस) की इकाइयों को थाना बनाने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगाई गई है। विजिलेंस की लखनऊ, अयोध्या, कानपुर, आगरा, वाराणसी, मेरठ, प्रयागराज, बरेली, गोरखपुर और झांसी स्थित इकाइयों को थाने का दर्जा दिया गया। अभी तक विजिलेंस को एफआईआर दर्ज कराने के लिए स्थानीय पुलिस पर निर्भर होना पड़ता था।

शर्मा ने कहा कि उप्र इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, लखनऊ में निदेशक/सचिव पद पर सीधी भर्ती प्रक्रिया में संशोधन से संबंधित प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है। आवेदन के लिए आयु पहले 57 वर्ष तक थी, जिसे अब घटा कर 45 से 55 वर्ष कर दिया गया है। उन्होंने कहा मोटर दुर्घटना प्रतिकर से जुड़े मामले में जिला स्तर पर विशेषीकृत मोटर दुर्घटना अधिकरण स्थापित होगा। इसके लिए 23.73 करोड़ रुपये निर्धारित होंगे। एडीजे के स्तर पर अदालत भी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है।

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