Home, State, Uttar Pradesh, हिंदी न्यूज़

नहीं रहे आधुनिक कविता के सशक्त हस्ताक्षर केदारनाथ सिंह

नहीं रहे आधुनिक कविता के सशक्त हस्ताक्षर केदारनाथ सिंह

यूपी डेस्क/ आधुनिक कविता के सशक्त हस्ताक्षर और लेखक केदारनाथ सिंह का सोमवार रात 9:10 बजे एम्स में निधन हो गया। यूपी के बलिया जिले के चकिया गांव में 1934 को जन्मे सिंह को 2013 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सांस की तकलीफ के कारण उन्हें 13 मार्च को एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में भर्ती किया गया था। ‘अंत महज एक मुहावरा है’ और ‘दिन के इस सुनसान पहर में रुक सी गई प्रगति जीवन की’ के रचयिता को ‘यह जानते हुए कि जाना हिंदी की सबसे खौफनाक क्रिया है’ बचाया न जा सका।

उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोड स्थित शमशान घाट पर होगा। एम्स से मिली जानकारी के अनुसार, उन्हें संक्रमण की शिकायत भी थी। डॉक्टरों का कहना है कि 86 वर्षीय केदार नाथ काफी समय से बीमारी से जूझ रहे थे। केदार नाथ सिंह हिंदी कविता में नए बिंबों के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। बीएचयू से 1956 में हिंदी में एमए और 1964 में पीएचडी करने वाले सिंह ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले वह हिंदी के 10वें लेखक हैं। इसके अलावा उन्हें मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार पाने वाले वह हिंदी साहित्य के 10वें लेखक थे। उनकी मौत की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *