मुंबई डेस्क/ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गैर निष्पादित अस्तियों (एनपीए) या बट्टाखाता ऋण के तेजी से समाधान के लिए एक संशोधित रूपरेखा पेश की है। इसे दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी), 2016 के निर्दिष्ट मानदंडों के साथ मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुरूप बनाया गया है।
आरबीआई ने सोमवार को जारी की गई एक अधिसूचना में कहा है कि नए दिशानिर्देश में बैंकों की प्रभावी परिसंपत्तियों की पहचान व सूचना के लिए एक ढांचा निर्दिष्ट किया गया है।
आरबीआई की अधिसूचना में कहा गया, “दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी)2016 के अधिनियमन के मद्देनजर मौजूदा दिशानिर्देशों को प्रभावी परिसंपत्तियों के समाधान के अनुरूप एक सहज ढांचे से बदलने का फैसला किया गया है।”
संशोधित ढांचे के हिस्से के तौर पर बैंक को तत्काल चूक के आधार पर प्रभावी ऋण खातों की शुरुआत में पहचान करनी होगी। इनकी डिफाल्ट अवधि के आधार पर प्रभावी संपत्तियों के वर्गीकरण को विशेष उल्लेख खातों (एसएमए) के रूप में करना होगा।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि सभी ऋणदाताओं को प्रभावी परिसंपत्तियों के समाधान के लिए बोर्ड की मंजूरी वाली नीतियों को शामिल करना होगा, जिसमें समाधान के लिए समयसीमा भी शामिल है।