लखनऊ डेस्क/ मथुरा वृंदावन में हो रही संघ की बैठक में देश के सभी प्रदेशो से आये प्रचारकों ने अपने-अपने क्षेत्र का फीडबैक संघ प्रमुख मोहन भागवत और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष रखा। नोटबंदी के मुद्दे पर देश भर से पहुंचे प्रचारकों का कहना है कि लोग परेशान तो हुए थे, लेकिन जब कालेधन पर अंकुश लगा तो तसल्ली भी हुई । ऐसे में नोटबंदी का कहीं कोई बड़ा विरोध नजर नहीं आया। जीएसटी का भी कोई बड़ा विरोध कहीं नहीं दिखा। हां लोगों को समझने में जरूर दिक्कत हुई। लेकिन धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो गई है। छोटे कारोबार को जरूर नुकसान हुआ है। छोटे कारोबार वाले लोग अभी तक प्रभावित हैं।
संघ की समन्वय बैठक में आगामी चुनावों को लेकर कोई खुलकर चर्चा तो नहीं हुई, लेकिन कई मुद्दों पर 2019 के चुनाव की चिंता साफ नजर आती रही। कुछ प्रचारकों ने राममंदिर का मुद्दा भी यहां उठाया। बैठक में स्वयंसेवकों ने विकास के साथ शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने का भी मुद्दा उठाया। बीच-बीच में आने वाले चुनावों को लेकर भी इशारा होता रहा। प्रचारकों ने कई राज्यों में संगठन की कमजोरियां गिनाते हुए उन्हे दूर करने को भी कहा। कहा गया कि जनप्रतिनिधियों को भी फील्ड में पूरी ताकत के साथ निकलना होगा। जनता के बीच जाकर उनकी बात सुननी होगी।
नोटबंदी और फिर जीएसटी पर मोदी सरकार के यह दो ऐसे फैसले थे जिस पर विपक्ष ने सरकार को घेरा था। समन्वय बैठक में भी नोटबंदी और जीएसटी के प्रभाव के संबंध में चर्चा हुई। प्रचारकों ने कहा कि लोगों को दिक्कत तो हुई, लेकिन जनता सरकार के पक्ष में दिखी। कालाधन रुकने से आम जनता ने राहत की सांस ली थी।