लखनऊ डेस्क/ योगी सरकार पर विपक्ष को धमकी देने और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए सपा, बसपा और कांग्रेस के सदस्य विधानसभा से बाहर निकल गए | सदन की बैठक शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को धमका रही है और चाहती है कि हम (विपक्ष) जेल चले जाएं |
चौधरी ने कहा कि सदस्यों का अपमान किया जा रहा है और हमें अध्यक्ष से संरक्षण नहीं मिल रहा है | पिछले 40 साल में मैंने सदन में ऐसी स्थिति नहीं देखी , हम सभी बहिर्गमन कर रहे हैं | आप जैसे चाहें सदन चलाएं’ चौधरी का समर्थन करते हुए बसपा नेता लालजी वर्मा ने कहा कि जब भी विपक्षी सदस्य खड़े होते हैं, नियमों का हवाला दिया जाता है और उन्हें बोलने नहीं दिया जाता | वर्मा ने कहा कि वित्त मंत्री के संबोधन के बाद नेता सदन के संबोधन का प्रावधान नहीं है, अगर नेता सदन को बोलने की अनुमति मिली तो नेता प्रतिपक्ष को भी बोलने का अधिकार है |
वही कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने आरोप लगाया कि जब नेता प्रतिपक्ष ने संबोधन शुरू किया तो उनके माइक को बंद कर दिया गया, उन्होंने कहा कि हम सभी ने विपक्ष के प्रति सरकार के रवैये को लेकर बहिर्गमन का फैसला किया है |
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विपक्ष के आरोप से इनकार करते हुए कहा कि यह बात सही नहीं है कि विपक्ष की आवाज दबायी गयी है और सरकार अहंकार में काम कर रही है | उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 2012 से अब तक की गयी नियुक्तियों की सीबीआई जांच की घोषणा करने में क्या गलत है? यह न्यायेचित कदम है, हमें जनादेश मिला है और जनता में संदेश जाना चाहिए हम जनता के लिए काम कर रहे हैं | किसी असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया है | खन्ना ने कहा कि सदन से बाहर जाना जनादेश का अपमान है |
उन्होंने कहा, ‘योगी जी (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) ने तार्किक ढंग से सरकार के कामकाज को पेश किया यह विपक्ष की केवल खिसियाहट है | विपक्ष जो कर रहा है, वह सही नहीं है’ खन्ना ने यह भी कहा कि उन्होंने सदन में आने से पहले सुबह नेता प्रतिपक्ष से बात की थी. अध्यक्ष दीक्षित ने कहा कि उन्होंने विपक्ष को बोलने का पर्याप्त समय दिया है |