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‘योगी’ के हवाले यूपी…..

योगी के हवाले यूपी
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भारी संख्या 325 और उसमे से भी 312 विशुद्ध भाजपाई लेकिन इनमे से कोई भी मोदी को रास नहीं आया और आशा के विपरीत भगवाधारी सांसद योगी आदित्यनाथ की ताज़पोशी जब यूपी के सुप्रीमो के रूप में की गयी तो न केवल पूरा देश बल्कि विश्वपटल पर भी लोग चौंक गए | हालाँकि लोकतंत्र की यह परंपराएं पहले भी कई बार तार-तार हुई हैं कि विधायक दल के नेता के रूप में पार्टी हाइकमानों ने ऊपर से थोपा गया, कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित किया | शायद उन्हें जनता द्वारा चुने गए विधायकों पर सरकार चला पाने का भरोसा ही नहीं रहता | बाद में 6 माह के अंदर कोई सीट ख़ाली करवाकर चुनवाया जाता हैं या विधानपरिषद में मनोनीत कर देते हैं | लेकिन शनिवार को दोपहर बाद योगी आदित्यनाथ का नाम अचानक सुर्ख़ियों में आया तो मुट्ठीभर कट्टरपंथियों को छोड़ हर कोई आवक रह गया | क्योंकि योगी की छवि एक कट्टरपंथी हिन्दू संत की हैं और कई बार वे अपने बेबाक विवादित बयानों से सुर्ख़ियों में भी रह चुकें हैं |

भारत के संविधान में भी देश को एक धर्म निरपेक्ष गणराज्य के रूप में परिभाषित किया गया हैं | इसलिए योगी को भाजपा के अन्य चुनावी वायदों से पहले क़रीब 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के 19.26 फीसदी मुसलमानों को सुरक्षा की गॉरन्टी देना पड़ेगी | तभी मोदी का ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा पूरा हो सकेगा | यदि योगी यह सब कर पाने में सफ़ल रहे तो 2019 में न केवल भाजपा का रथ लोकसभा में बेधड़क दौड़ेगा बल्कि धर्म, संप्रदाय व् तुष्टिकरण कि राजनीति कर वोट बैंक बढ़ाने वाले राजनीतिक दल भी भोथरे साबित होंगे |

मूल रूप से उत्तराखंड से पौड़ी-गढ़वाल के रहने वाले अजय सिंह बिष्ट उर्फ़ योगी आदित्यनाथ 1993 में ही घर बार छोड़कर गोरखपुर चले आये थे | यंहा वे महंत अवैधनाथ के सानिध्य में रहे और 1998 में ही उनकी विरासत संभाल पहली बार भाजपा से सांसद चुने गए | तबसे 2014 तक लगातार पांच बार सांसद रहने के बाद 45 वर्ष कि उम्र में ही यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी हुई | यदि कट्टर हिन्दूवादी सोंच के पलट उनके व्यक्तित्व को परखा जाए तो कठोर ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले, ग़रीबों के हमदर्द, परिश्रमी तथा मोदी कि तरह ‘न खाऊँगा, न खाने दूंगा’ व् ‘न सोऊंगा, न सोने दूंगा’ कि राह चलने वालों में हैं | गौ सेवा भी उनका एक मिशन हैं | यूपी गंभीर चुनौतियों से भरा प्रदेश हैं | यंहा का ज़र्रा-ज़र्रा विकास चाहता हैं | मतदाता आशा भारी निगाहों से भाजपा को देख रहा हैं | साढ़े पचासी हज़ार करोड़ रुपये किसानों का बैंक क़र्ज़ माफ़ी, २४ घंटे बिजली, कानून व्यवस्था में सुधार, सड़क, पानी, सिंचाई, दवाई व् शिक्षा जैसी मूलभूत समस्यांए सिर उठायें खड़ी हैं | और इन् सबसे बढ़कर सांप्रदायिक सौहार्द्य क़ायम रखना योगी कि कठिन परीक्षा होगी | वैसे पी एम् मोदी ने राजनीतिक दृष्टि से भी संतुलन साधने कि कोशिश कि हैं | जातिगत समीकरण बैठाने के लिए क्षत्रिय वर्ग से मुख्यमंत्री तो पिछड़ा वर्ग से केशव प्रसाद मौर्या व् ब्राह्मण वर्ग से दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाया हैं बाकी कसर मंत्रिमंडल से पूरी करने कि कोशिश हुई हैं |

चूँकि प्रधानमंत्री का लक्ष्य 2019 का लोकसभा चुनाव हैं इसलिए योगी मंत्रिमंडल कि क़ाबलियत अगले दो वर्ष में ही देखने को मिल जाएगी | कि वह उनके सपनों को किस हद तक पूरा कर पाते हैं |

सुधीर निगम
रेजिडेंट एडिटर
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