फरीदाबाद डेस्क/ अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एनआईटी फरीदाबाद बस स्टैंड का उद्घाटन करने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में बस स्टैंड को बस पोर्ट के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड पर डिजाइन किए गए राज्य के पहले बस पोर्ट का नाम भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. मंगल सेन के नाम पर रखने की भी घोषणा की। चार एकड़ में फैले इस बस पोर्ट का निर्माण 130 करोड़ रुपये के परिव्यय से किया गया है।
पीपीपी मोड पर बल्लभगढ़, सोनीपत और करनाल में नए बस पोर्ट और गुरुग्राम जिले में दो बस पोर्ट बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा की परिवहन सेवा देश में सर्वश्रेष्ठ में से एक है। राज्य सरकार यात्रियों को सुरक्षित, किफायती और विश्वसनीय परिवहन सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले से ही राज्य भर में यात्रियों को बेहतर परिवहन सेवाएं प्रदान कर रही है। विभिन्न बस स्टैंडों को बेहतर बुनियादी ढांचे और हवाईअड्डे के समान अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ पुनर्निर्मित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने एनआईटी फरीदाबाद क्षेत्र के निवासियों को बधाई देते हुए कहा कि वर्ष 1980 में उन्होंने फरीदाबाद में अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत की थी। उस समय अच्छे परिवहन सेवाओं का अभाव था। उन्होंने कहा कि आम आदमी की समस्या को समझते हुए उन्होंने तब पूर्व उपमुख्यमंत्री मंगल सेन को एनआईटी बस स्टैंड की स्थिति से अवगत कराया था और आज इस बस स्टैंड को अत्याधुनिक सुविधाओं से पुनर्निर्मित करने का सपना साकार हुआ है।
उन्होंने कहा कि उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए आज से इस नवनिर्मित बस पोर्ट को डॉ. मंगल सेन बस पोर्ट, एनआईटी फरीदाबाद के नाम से जाना जाएगा। फरीदाबाद एनआईटी के बस पोर्ट को इंटीग्रेटेड कंसोलिडेटेड कमांड सेंटर के जरिए जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही यात्री ऑनलाइन टिकट बुकिंग और बस की वर्तमान स्थिति जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
आसपास के गांवों के लोगों की जरूरतों को पूरा करने के अलावा, इस बस पोर्ट से दिल्ली, चंडीगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के शहरों से आने-जाने वाले यात्रियों को भी लाभ होगा। उन्होंने कहा कि राज्य परिवहन सुरक्षित यात्रा प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी को प्रभावी ढंग से निभा रहा है। पहले के वर्षो में, रोडवेज बसों के कारण 200 से अधिक दुर्घटनाएं होती थी, पिछले साल केवल 79 सड़क दुर्घटनाएं हुईं।