लखनऊ,खाने में पोषक तत्वों की कमी बनी परेशानी का सबब
TIL Desk Lucknow/ शादी में देरी बांझपन की बड़ी वजह बन गई है। पर, कैरियर बनाने के लिए युवक-युवतियां देरी से शादी कर रहे हैं। यही वजह है कि बांझपन के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। शादी और मां बनने की सबसे अच्छी उम्र 20 से 25 साल है। 26 से 30 साल को दूसरी अच्छी उम्र मानी जाती है। 35 की उम्र तक मां बनने का अच्छा समय है। इससे बाद गर्भधारण करने में अड़चन आती है। तमाम तरह की परेशानी घेर लेती हैं। यह बातें यूपीकॉन की आयोजक सचिव डॉ. प्रीति कुमार ने कही। आज केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में यूपीकॉन 2023 का आयोजन हुआ। लखनऊ अब्सट्रेक्टस एंड गायनकोलॉजिस्ट सोसाइटी (एलओजीएस) व गायनी एकेडमिक वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से यूपीकॉन का आयोजन हुआ। डॉ. प्रीति कुमार ने बताया कि 35 की उम्र के बाद अंडे बनने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। बांझपन के खतरों से बचने के लिए सही समय पर शादी करें।
समय पर करें इलाज
गर्भधारण करने में अड़चन आ रही तो शर्म न करें। डॉ. प्रीति के मुताबिक फौरन डॉक्टर से संपर्क करें। इलाज में देरी से समस्या गंभीर हो जाती है। ऐसे में इलाज कठिन हो जाता है। इलाज भी लंबा चलता है। उन्होंने बताया कि आईवीएफ समेत इलाज की दूसरी तकनीक सूनी गोद भर सकती हैं।
भोजन में पोषक तत्वों की कमी न हो
कान्फ्रेंस की चेयरपर्सन डॉ. चन्द्रावती ने बताया कि अनियमित जीवनशैली, असंतुलित खानपान व भोजन में पोषक तत्वों की कमी भी बांझपन की समस्या में वृद्धि की वजह है। उन्होंने बताया कि खान-पान दुरुस्त रखें। हरी पत्तेदार सब्जियां खायें। फलों का नियमित सेवन करें। गाजर, चुकंदर, सेब व दूसरे मौसमी फल के सेवन से सेहत ठीक रहती है। उन्होंने बताया कि जननांगों में संक्रमण बांझपन के प्रमुख कारण हैं।
कुछ-कुछ अंतराल पर खाएं
कान्फ्रेंस में महाराष्ट्रा की डॉ. पूनम शिवकुमार बताया कि गर्भावस्था के दौरान खान-पान ठीक रखना चाहिए। कुछ-कुछ अंतराल पर भोजन करना चाहिए। एक साथ ज्यादा भोजन करने से बचें। थोड़ा-थोड़ा खाना गर्भवती महिला व गर्भास्थ की सेहत के लिए फायदेमंद हैं। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में एक्टिव रहने की जरूरत है। ज्यादा आराम करने से बचें। हालांकि गर्भावस्था में कुछ दिक्कत होने पर महिलाओं को आराम करने की सलाह दी जाती है। पर, सामान्य स्थिति में घर के छोटे-मोटे काम करते रहना चाहिए। समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लें। जरूरी जांचें करायें। इससे सामान्य प्रसव की उम्मीद बढ़ जाती है।