जयपुर
राजस्थान विधानसभा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अंता से विधायक कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी है। विधानसभा सचिवालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। मीणा को एसडीएम पर पिस्टल तानने के मामले में अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है।
1 मई से माना जाएगा सदस्यता समाप्त होना
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस संबंध में राज्य के महाधिवक्ता और वरिष्ठ विधिवेताओं से राय लेने के बाद फैसला लिया। कानूनी राय में स्पष्ट किया गया था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से सजा पर रोक नहीं लगती, तब तक सदस्यता खत्म करना ही एकमात्र विकल्प है। इसके आधार पर यह निर्णय लिया गया कि कंवरलाल मीणा की विधायकी 1 मई 2025 से समाप्त मानी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर हुई कार्रवाई
मीणा ने सुप्रीम कोर्ट में सजा पर रोक लगाने के लिए याचिका लगाई थी, जिसे खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने उन्हें दो सप्ताह में सरेंडर करने का आदेश दिया था, जिसके अनुपालन में 21 मई को उन्होंने अकलेरा कोर्ट में आत्मसमर्पण किया और फिलहाल वे जेल में हैं।
उपचुनाव पर फैसला सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा याचिका पर निर्भर
कंवरलाल मीणा ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिव्यू पिटिशन (पुनर्विचार याचिका) भी दायर की है। यदि कोर्ट उनकी सजा स्थगित करता है या कम करता है, तो उपचुनाव नहीं होंगे। फिलहाल, विधानसभा सचिवालय ने चुनाव आयोग को विधायकी समाप्ति की सूचना भेज दी है। आयोग तय करेगा कि अंता सीट पर उपचुनाव कराने हैं या नहीं। यदि उपचुनाव होते हैं तो छह महीने के भीतर प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
8 साल में दूसरी बार हुई विधायकी समाप्त
यह घटना राजस्थान विधानसभा में ऐसी दूसरी मिसाल है। इससे पहले 2016 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक बीएल कुशवाह को हत्या के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद्द की गई थी। उस समय धौलपुर सीट पर उपचुनाव कराए गए थे, जिसमें उनकी पत्नी शोभारानी कुशवाह ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी।
राजनीतिक हलचल और विपक्ष का दबाव
स्पीकर के फैसले से पहले इस मुद्दे पर राजनीतिक खींचतान भी सामने आई। कांग्रेस पार्टी लगातार स्पीकर पर देरी को लेकर निशाना साध रही थी। दो दिन पहले नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने स्पीकर को ज्ञापन सौंपा था। इसके अलावा जूली ने हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी थी। इसी दिन स्पीकर की ओर से सदस्यता समाप्त करने की घोषणा सामने आई।
कंवरलाल मीणा की सदस्यता समाप्त होना राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यह न केवल जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही को रेखांकित करता है, बल्कि कानून के सामने सभी के समान होने की संवैधानिक भावना को भी पुष्ट करता है। अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई और चुनाव आयोग के फैसले पर टिकी हैं।