पटना
बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के सिलसिले में भारतीय जनता पार्टी मुस्लिम वोटर्स के बीच जाएगी. पार्टी सौगात-ए-मोदी अभियान चलाने की तैयारी कर रही है. 32 लाख गरीब मुसलमानों को ईद के मौके पर 'सौगात-ए-मोदी' दिया जाएगा, जिससे उन्हें ईद मनाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं हो.
'सरकार नहीं, सल्तनत चला रहे…'
समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने कहा, "बिहार में चुनाव है इसलिए सब कुछ हो रहा है. मुसलमान के लिए अगर बीजेपी कुछ कर सकती है तो उनके लिए इंसाफ करे, उनका उन्हें हक दिलाए, यही सबसे बड़ी सौगात होगी.
आरजेपी सांसद मनोज झा ने कहा, "प्रधानमंत्री जी को हर जगह अपनी तस्वीर छपवाने की एक आदत है. डेथ सर्टिफिकेट को छोड़कर हर जगह तस्वीर छपवा चुके हैं. सौगात बोलने से पहले आपको भी दुख होना चाहिए. यह राजतंत्र नहीं है, लोकतंत्र है. अगर अपने आप को बादशाह समझने लग गए हैं तो मैं क्या ही कहूं? ऐसा लग रहा है कि दिल्ली में सरकार नहीं, सल्तनत चला रहे हैं.
टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद ने कहा, "मगरमच्छ का मुंह देखा है कभी? मगरमच्छ का मुंह देखो तो लगता है कि हंस रहा है लेकिन पास जाओ तो काट लेता है. इनके पास कुछ नहीं है दिखाने के लिए, इसलिए अब ये सौगात ए मोदी लाए है. ये तो मजाक है.
'किट में खाने-पीने का सामान…'
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के नेशनल प्रेसिडेंट जमाल सिद्दीकी ने कहा, "मोदी जी 140 करोड़ भारतीयों के पीएम हैं, त्यौहार का समय है, ईद आने वाली है, रमजान चल रहा है. हमारे कार्यकर्ता जाएंगे और किट देंगे. किट में खाने-पीने का सामान होगा, घर की महिला प्रमुख के लिए सूट का कपड़ा होगा. किट में त्यौहार, सेवइयां , बेसन, ड्राई फ्रूट, दूध, चीनी सब होगा."
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, "मुसलमान को सौगात शिक्षा, सम्मान, रोजगार की चाहिए, आपकी किट से मुसलमानों का काम चलने वाला नहीं है."
भाजपा नेता ने कही ये बात
भाजपा प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, 'हां कुछ पढ़े लिखे मुस्लिम युवा और महिलाओं ने लोकसभा में निश्चित रूप से मोदी जी को और एनडीए को वोट दिया था। मुस्लिम वोट के जो ठेकेदार बने हैं, दलाल बने हैं। उनसे उनका भरोसा उठ रहा है और मुस्लिम वोटर भी धीरे-धीरे एनडीए की ओर आ रहा है।' दरअसल सोमवार को पटना में अलग-अलग राजनैतिक दलों द्वारा इफ्तार का आयोजन किया गया था। इस दौरान चिराग पासवान द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी से कई मुस्लिम नेताओं ने दूरी बना रखी थी। इसी मामले पर बोलते हुए चिराग पासवान ने बयान देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार मुसलमानों के लिए लगातार काम कर रही है लेकिन उस हिसाब से मुस्लिम समुदाय के लोगों का वोट एनडीए को नहीं मिल रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि मुसलमानों का इस्तेमाल केवल वोट बैंक की तरह किया गया है।
क्या है सौगात ए मोदी योजना?
सौगात ए मोदी योजना भारतीय जनता पार्टी द्वारा शुरू किया गया एक अभियान है। इसका उद्देश्य है मुस्लिम समुदाय के बीच कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देना और भाजपा और एनडीए के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाना। यह अभियान खास इसलिए भी है क्योंकि यह रमजान और ईद जैसे अवसरों पर केंद्रित है। इस अभियान के तहत केंद्र सरकार ने 32 लाख मुस्लिम परिवारों तक पहुंचने और 3 हजार मस्जिदों के साथ सहयोग करने की योजना बनाई है। कुछ लोग केंद्र सरकार के इस फैसले को समावेशी बता रहे हैं तो कुछ लोग इसे राजनीति का हिस्सा बता रहे हैं। बता दें कि यह अभियान भाजपा की व्यापक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
कांग्रेस ने रखा है 50 सीटें जीतने का लक्ष्य
पिछले दिनों बिहार कांग्रेस ने कहा है कि हमने 50 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. पार्टी ने खुद भी यह स्वीकार किया है कि यह लक्ष्य आसान नहीं है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि ये नामुमकिन भी नहीं. अखिलेश प्रसाद ने दावा किया कि बिहार कांग्रेस के पक्ष में इस बार चौंकाने वाले नतीजे आएंगे.
मिशन 50 के नारे, चौंकाने वाले नतीजों के दावे… इनके लिए कांग्रेस पार्टी को सबसे पहले अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना होगा. 2020 के चुनाव नतीजों में 70 सीटों पर चुनाव लड़कर महज 27 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 19 सीटें ही जीत पाई पार्टी को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) इस बार अधिक सीटें देने का खतरा मोल लेगी? खासकर तब, जब महागठबंधन 110 सीटें जीतकर बहुमत के लिए जरूरी 122 के जादुई आंकड़े से महज 12 सीट पीछे रह गया था और विपक्षी गठबंधन की मात के लिए कांग्रेस के प्रदर्शन को कसूरवार ठहराया गया था.
ग्रैंड ओल्ड पार्टी का प्लान-45
मिशन 50 का नारा देने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता भी यह समझ रहे हैं कि सीट शेयरिंग की टेबल पर अपनी डिमांड मनवाने की राह में पिछले चुनाव का प्रदर्शन उसकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा रहने वाला है. यही वजह है कि पार्टी ने इस बार खास रणनीति बनाई है- प्लान 45. दरअसल, कांग्रेस ने 2015 के विधानसभा चुनाव में 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 27 सीटें जीतने में सफल रही थी जो 1995 में 29 सीटों पर जीत के बाद बिहार चुनाव में पार्टी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. कांग्रेस को इतनी सीटें लड़ने के लिए तब मिली थीं जब महागठबंधन में जेडीयू भी थी. 2020 के चुनाव से पहले कांग्रेस नेतृत्व अधिक सीटों की डिमांड पर अड़ गया.
हां-ना, हां-ना का दौर अंतिम वक्त तक चलता रहा और बात बनी तेजस्वी यादव की राहुल गांधी के साथ हुई बात के बाद. लालू यादव की पार्टी ने आखिरकार कांग्रेस को 70 सीटें देने पर हामी भर दी जो 2015 चुनाव के मुकाबले 29 ज्यादा थीं. सीटों की संख्या में कांग्रेस की चल गई लेकिन जब माइक्रो लेवल पर सीटों का आवंटन शुरू हुआ, ग्रैंड ओल्ड पार्टी के साथ यहीं पर खेल हो गया. कांग्रेस को जो सीटें दी गईं, उनमें से 45 ऐसी थीं जहां पार्टी पिछले चार चुनाव से जीत नहीं पाई थी. 70 में से 67 सीटों पर 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने लीड किया था.