बांसवाड़ा
जिला मुख्यालय के महात्मा गांधी चिकित्सालय में कार्यरत एक चिकित्सक द्वारा अपने पिता और एक अन्य व्यक्ति का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने का बड़ा मामला सामने आया है। डॉक्टर ने अपने ही वरिष्ठ अधिकारी से साधारण चोट को गंभीर बताकर मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार करवाया और पुलिस कार्रवाई भी करवा दी। मामला उजागर होने के बाद तीन डॉक्टरों और एक हेड कांस्टेबल सहित छह लोगों के खिलाफ लोहारिया थाने में मामला दर्ज किया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार लोहारिया थाना क्षेत्र के आसोडा गांव निवासी जगदीश पाटीदार ने 16 मार्च 2022 को पुलिस अधीक्षक को एक परिवाद सौंपा था। परिवाद में आरोप लगाया गया कि गांव के भूरालाल, भावेंग और अन्य ने उनके घर में घुसकर मारपीट की। इस शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया। बाद में भूरालाल ने भी जगदीश के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया। दोनों पक्षों का मेडिकल पालोदा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कराया गया, जहां किसी को गंभीर चोट नहीं पाई गई। इसके आधार पर पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश कर दिया।
हालांकि जब जगदीश पाटीदार ने चार्जशीट की नकल ली तो पता चला कि 22 मार्च को भूरालाल और भावेंग के लिए गंभीर चोट के फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र तैयार किए गए थे जबकि वास्तविकता में उनकी चोट साधारण ही थी।
रिपोर्ट के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पालोदा के चिकित्सक हिमांशु ने पुलिस की रिपोर्ट पर भूरालाल और भावेंग को गंभीर चोट का हवाला देते हुए महात्मा गांधी चिकित्सालय रैफर किया, जबकि दोनों मेडिकल करवाकर सीधे अपने घर लौट गए थे। इसके बाद प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. रवि उपाध्याय ने तहरीर के आधार पर दोनों की गंभीर चोट का प्रतिवेदन तैयार कर दिया।
इस दौरान भूरालाल के बेटे डॉ. अश्विन पाटीदार ने अपने पिता और भावेंग के होली का त्योहार मनाते हुए फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिए, जिससे दोनों के चोटिल होने के दावे पर सवाल खड़े हो गए।
इसके बाद जगदीश पाटीदार ने जांच के दौरान अस्पताल से दस्तावेज प्राप्त किए, जिसमें सामने आया कि 19 मार्च को डॉ. अश्विन पाटीदार ने अपने पिता भूरालाल और भावेंग को गंभीर चोट का हवाला देकर मेल सर्जिकल वार्ड में भर्ती दिखाया था। भर्ती टिकट पर डॉ. अश्विन के हस्ताक्षर मिले, जबकि उस दिन उनकी ड्यूटी अस्पताल में नहीं थी। इतना ही नहीं भर्ती की टिकट और ओपीडी पर्ची भी कंप्यूटर से जनरेट नहीं थी, जबकि अस्पताल की सामान्य प्रक्रिया में सभी भर्ती टिकट कंप्यूटर से जनरेट किए जाते हैं।
पुलिस ने पूरे घटनाक्रम में डॉक्टरों और हेड कांस्टेबल की मिलीभगत पाते हुए तीन डॉक्टरों, एक हेड कांस्टेबल और दो अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। मामले की जांच जारी है।