पटना डेस्क/ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से असंतुष्ट और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा पार्टी से अलग हो गए हैं। उन्होंने पटना में इसकी आधिकारिक घोषणा की| केंद्र सरकार के विरोधी नेता आज पटना में एक मंच पर जुटे थे, जहां पूर्व वित्त मंत्री ने बीजेपी से सारे रिश्ते तोड़ने का ऐलान किया। यशवंत सिन्हा ने कहा, “बीजेपी में दलगत राजनीति बढ़ती जा रही है। लोकतंत्र खतरे में है। इसलिए मैं बीजेपी से अपने सारे रिश्ते-नाते तोड़ रहा हूं।”
सिन्हा ने कहा कि मैं आज के बाद किसी दल के साथ नहीं रहूंगा न ही किसी भी राजनितिक दल से कोई रिश्ता नहीं रहेगा। आज देश में लोकतंत्र खतरे में है जिन लोगों ने लोकतंत्र को खतरे में डाला उन ताकतों को हम मटियामेट कर देंगे। उन्होंने कहा कि पटना मेरा शहर है। आज से चार साल पहले ही मैं सक्रिय राजनीति से संन्यास ले चुका हूं। मैंने चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर लिया है। ऐसे में कुछ लोगों ने समझा कि मेरा दिल भी धड़कना बंद कर दिया है, लेकिन जब देश की बात आएगी तो मैं बढ़ चढ़कर भाग लूंगा। देश के सवाल पर ही मैंने राष्ट्र मंच का निर्माण किया है और ये मंच राजनीतिक मंच नहीं है। उन्होंने कहा कि फिलहाल देश की हालात चिंताजनक है ऐसे में अगर आज हम चुप रहे तो आनेवाले पीढियां दोष देंगी।
यशवंत ने कहा कि बिहार ने बड़े आंदोलन पैदा किए हैं। केंद्र सरकार पर यशवंत सिन्हा ने हमला करते हुए कहा कि संसद का बजट सत्र इतना छोटा कभी नहीं रहा है, लेकिन भारत सरकार ने नियोजित ढंग से संसद को नहीं चलने दिया। उन्होंने कहा कि गुजरात चुनाव के कारण सत्र को छोटा कर दिया गया। सत्र नहीं चलने से सरकार बहुत खुश थी। सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव के कारण सदन नहीं चलने दिया। इस अधिवेशन में बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, शरद यादव और जदयू के असंतुष्ट नेता उदय नारायण चौधरी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में कांग्रेस, राजद, आम आदमी पार्टी और सपा समेत भाजपा-जदयू के असंतुष्ट नेताओं को भी बुलाया गया।