लखनऊ डेस्क/ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड प्रबंधन के लिए गठित उच्चस्तरीय टीम-9 के साथ सोमवार को प्रदेश की स्थिति की समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जिलों में आईसीयू क्रियाशील हो और कहीं भी दवाओं, विशेषज्ञों और टेक्नीशियन की कमी न होने पाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न देशों में बढ़ते कोविड-19 के संक्रमण के बीच उत्तर प्रदेश की स्थिति सामान्य है। दिसंबर माह में 9 लाख 6 हजार से अधिक टेस्ट किए गए, जिसमें 103 केस की पुष्टि हुई। इस अवधि में प्रदेश की पॉजिटिविटी दर 0.01 फीसद दर्ज की गई। वर्तमान में प्रदेश में कुल 49 एक्टिव केस हैं। विगत 24 घंटों में 42 हजार से अधिक टेस्ट किए गए। यह समय सतर्क और सावधान रहने का है।
योगी ने कहा कि कोविड की बदलती परिस्थितियों पर सूक्ष्मता से नजर रखी जाए। विगत दिनों मॉक ड्रिल में जो भी कमियां मिली हैं, उनमें तत्काल सुधार किया जाए। कोविड काल में सरकार ने हर जिले में आईसीयू स्थापित किये हैं, उन्हें क्रियाशील रखा जाए। हर आईसीयू में एनेस्थेटिक व अन्य स्पेशलिस्ट चिकित्सकों और टेक्नीशियन की उपलब्धता हो। आक्सीजन प्लांट पर तीन टेक्नीशियन तैनात होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग अथवा चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संचालित सभी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती, चिकित्सकीय उपकरणों की क्रियाशीलता, पैरामेडिकल स्टाफ की समुचित उपलब्धता की गहनता से परख कर ली जाए। कहीं भी किसी प्रकार की कमी न हो। अस्पतालों द्वारा अपने स्तर पर भी मॉक ड्रिल किया जाए।
यूपी के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सर्वाधिक कोविड वैक्सीनेशन करने वाला राज्य है। वर्तमान में प्रदेश में 11 लाख से अधिक डोज उपलब्ध हैं। मांग के अनुरूप वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता के लिए भारत सरकार से सतत संपर्क बनाए रखा जाए। कोविड संक्रमण से बचाव में टीके की उपयोगिता स्वयंसिद्ध है। प्रीकॉशन डोज लगाए जाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। इसमें तेजी की आवश्यकता है।
योगी ने कहा कि कोविड काल के पिछले दो-ढाई वर्ष की अवधि में स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारु बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में अस्थायी तौर पर कार्मिकों की तैनाती की गई थी। कोविड काल में अपने प्राणों की परवाह न करते हुए इनके द्वारा किया गया दायित्व निर्वहन प्रेरणास्पद है और सेवाभावना सराहनीय है। इन कार्मिकों की इस सेवावधि की भविष्य में होने वाली नियुक्तियों में गणना की जाए। ऐसे कार्मिकों को वरीयता दी जाए। इस संबंध में स्पष्ट नियमावली तैयार की जाए।