Madhya Pradesh, State

मोहन सरकार फिर ढाई हजार करोड़ कर्ज ले रही, अबतक 4.21 लाख करोड़ का कर्जदार हुआ एमपी

भोपाल
 मध्य प्रदेश की मोहन सरकार वित्तीय वर्ष की समाप्ति यानी 31 मार्च 2025 की स्थिति में 4.21 लाख करोड़ रुपए से अधिक की कर्ज है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में सरकार मई के महीने में भारतीय रिजर्व बैंक से एक बार फिर कर्ज लेने वाली है। 6 मई को 12 साल के लिए ढाई हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जाएगा। इसका इस्तेमाल विकास परियोजनाओं को गति देने के अलावा आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में होगा।

MP पर कुल कर्ज बढ़कर 4.21 लाख करोड़ हो गया

इससे पहले 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में सरकार ने कुल 57 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जिससे मध्य प्रदेश पर कुल कर्ज बढ़कर 4.21 लाख करोड़ रुपये हो गया. बता दें कि विकास कार्यों और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का हवाला देकर कर्ज लिया जा रहा है.

3 महीनों में प्रदेश सरकार ले चुकी है 27 हजार करोड़ का कर्ज

साल 2025 के पहले 3 महीनों में सरकार 27 हजार करोड़ कर्ज ले चुकी है. अब 5000 करोड़ का कर्ज लेने से इस साल लिए गए उधार का आंकड़ा 32000 करोड़ हो जाएगा. नया कर्ज 12 साल की अवधि के लिए लिया जाएगा.

MP के 7.30 लाख कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ा

हाल ही में मध्य प्रदेश के 7.30 लाख अधिकारियों कर्मचारियों को मोहन सरकार ने तोहफा दिया है. दरअसल, राज्य की मोहन सरकार ने कर्मचारियों को तोहफा देते हुए 5% महंगाई भत्ता देने की घोषणा की है. जिसके बाद डीए 50% से बढ़कर 55% पहुंच गया है. सीएम मोहन यादन ने घोषणा करते हुए कहा है कि यह वृद्धि दो किस्तों में लागू की जाएगी-1 जुलाई 2024 से 3% और 1 जनवरी 2025 से 2% अतिरिक्त महंगाई भत्ता स्वीकृत किया गया है.

एक साल में कर्ज पर 29 हजार करोड़ ब्याज चुकाएगी सरकार
ये भी बता दें कि, सरकार साल 2025-26 में सिर्फ ब्याज चुकाने में ही करीब 29 हजार करोड़ रुपए व्यय करेगी। ये किसी भी एक योजना में व्यय होने वाली राशि से काफी ज्यादा है।

कांग्रेस बोली- भाजपा एमपी को बना रही कर्ज प्रदेश
वहीं, दूसरी तरफ राज्य सरकार द्वारा लगातार लिए जा रहे कर्ज को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना है कि, भाजपा सरकार एमपी को कर्ज प्रदेश बनाने में जुटी है। अबतक जो राशि ली गई है, उसका उपयोग जनहित में होता हुआ नजर नहीं आया। यही कारण है कि, बार-बार सरकार से आर्थिक स्थिति को स्पष्ट करने के लिए श्वेतपत्र जारी करने की मांग की जाती है।

FRBM एक्ट के दायरे में लिया गया अब तक का कर्ज

सरकार द्वारा अब तक लिया गया समस्त कर्ज राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम के अंतर्गत ही रहा है। नियमों के अनुसार कर्ज की सीमा तय की जाती है और उस पर निगरानी रखी जाती है। वर्ष 2025-26 में सरकार केवल ब्याज भुगतान में लगभग 29 हजार करोड़ रुपए व्यय करेगी। यह राशि किसी एक बड़ी विकास योजना से भी अधिक है और सरकार के बजट पर भारी दबाव बनाए रखेगी।

कर्मचारियों को बढ़ा भत्ता

सरकार ने हाल ही में राज्य कर्मचारियों को केंद्र के समान 55 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने की घोषणा की है। यह निर्णय नौ साल बाद लिया गया है, लेकिन इससे राजकोषीय बोझ और अधिक बढ़ गया है। वित्त विशेषज्ञों के अनुसार, नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कर्ज की ब्याज दर अपेक्षाकृत कम होती है। इसी कारण अधिकतर राज्य सरकारें शुरुआती तिमाही में ही उधारी की प्रक्रिया पूरी कर लेती हैं।

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