लखनऊ डेस्क/ राज्य में डॉक्टरों की कमी से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से अनुबंध के आधार पर सेवानिवृत्त डॉक्टरों को नियुक्त करने का फैसला किया है।
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, जिनके पास स्वास्थ्य विभाग भी है, उनका कहना है, “जिन अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है, उन्हें उन विभागों को सूचीबद्ध करना चाहिए। डॉक्टरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से अनुबंध के आधार पर तैनात किया जा सकता है।”
डिप्टी सीएम ने कहा, “डॉक्टरों की कमी से मरीजों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। अस्पतालों में जो दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें अस्पतालों द्वारा स्थानीय स्तर पर खरीद कर प्राप्त की जानी चाहिए।”
बृजेश पाठक ने आगे कहा, “दवाओं की स्थानीय खरीद के लिए सरकार अस्पतालों को बजट आवंटित कर रही है। मरीजों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए बजट की कोई कमी नहीं है।”
आंकड़े साझा करते हुए उन्होंने कहा, “सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) के चयन के लिए एक वर्ष में कई बार परीक्षा आयोजित की जा रही है और 2017 से 9,680 सीएचओ को प्रशिक्षित किया गया है।”
बृजेश पाठक ने आगे कहा, “सरकार ने सीएचओ को प्रशिक्षित करने की दिशा में एक कीर्तिमान स्थापित किया है। 2017 से अब तक 9680 सीएचओ का चयन और प्रशिक्षण किया गया है। 5,000 से अधिक सीएचओ की तैनाती की प्रक्रिया चल रही है। उत्तर प्रदेश में 13,700 से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र हैं और उनमें सीएचओ को तैनात किया जा रहा है।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “सेवानिवृत्त डॉक्टरों को अनुबंध के आधार पर नियुक्त करने से दो तरह से मदद मिलेगी। पहला, उनके अनुभव से रोगियों को मदद मिलेगी, विशेष रूप से पुरानी बीमारियों के निदान में और दूसरा, डॉक्टरों की उपलब्धता में वृद्धि होगी।”