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भारतीय ज्ञान परम्परा” में विद्यमान है जल संरक्षण” का मंत्र: उच्च शिक्षा मंत्री परमार

समाज के समस्त प्रश्नों का समाधान, शिक्षा के मंदिरों से होगा : उच्च शिक्षा मंत्री परमार

भारतीय ज्ञान परम्परा" में विद्यमान है जल संरक्षण" का मंत्र: उच्च शिक्षा मंत्री परमार

मंत्री ने जल संरक्षण को लेकर बच्चों द्वारा सृजित प्रदर्शनी का शुभारम्भ भी किया
रविन्द्र भवन भोपाल में दो दिवसीय "वॉटर फॉर ऑल – ऑल फॉर वॉटर" का शुभारम्भ

भोपाल

समाज में किसी भी तरह के संकट का समाधान करने कोई और नहीं आएगा। समाज के संकटों के समाधान भी, समाज की ही सहभागिता से संभव हैं। वर्तमान परिदृश्य में जल संकट एक सामाजिक प्रश्न हैं, इसका समाधान भी समाज को ही करना होगा। जल की एक-एक बूंद हमारे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है! जनजागृति का यह संदेश जन-जन तक पहुंचे और जल संरक्षण के प्रति सामाजिक चेतना की जागृति हो, यह अत्यंत आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। वैश्विक परिधियों में आने वाले समय में कुछ ऐसे भी और संकट हैं, जिनके समाधान हमें शिक्षा के माध्यम से ही मिलेंगे। समाज के समस्त प्रश्नों का समाधान, हमारे शिक्षा के मंदिर ही करेंगे और हम उसकी ओर आगे बढ़ रहे हैं। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने शुक्रवार को भोपाल स्थित रविन्द्र भवन में "परमार्थ समाजसेवी संस्था और समर्थन संस्था" के संयुक्त तत्वावधान में "जल संरक्षण के प्रति जागरुकता" के लिए आयोजित दो दिवसीय "वॉटर फॉर ऑल – ऑल फॉर वॉटर" कार्यक्रम का शुभारम्भ कर कही। मंत्री परमार ने प्रदेश के बुंदेलखंड के विभिन्न जिलों से आए, नन्हे बच्चों एवं विद्यालयीन विद्यार्थियों के द्वारा जल संरक्षण पर तैयार की गई प्रदर्शनी का शुभारम्भ भी किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में जल का संरक्षण करना बहुत बड़ी चुनौती है और यह चुनौती इस रूप में है कि हमारे पूर्वजों ने जल का संरक्षण करने का मंत्र दिया था लेकिन वह हम भूल गए हैं। भारतीय समाज में यह ज्ञान रूपी मंत्र, पूर्वजों के द्वारा स्थापित परम्पराओं एवं मान्यताओं के रूप में विद्यमान है। जल संकट अलावा भी दूसरे संकट सामने दिखने लगे हैं, इसके लिए फिर से जन जागरण करने की आवश्यकता है। लोगों को जल संरक्षण के विभिन्न तरीकों से अवगत कराना, यह केवल सरकार का ही नहीं बल्कि समाज का भी दायित्व है और हर सामाजिक संगठन और हर व्यक्ति की भी जिम्मेदारी है। मंत्री परमार ने कहा कि जल संरक्षण के लिए कुछ ना कुछ प्रयास करें। जल संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयासों को और गति देनी होगी। मंत्री परमार ने कार्यक्रम आयोजक संगठनों की सराहना करते हुए कहा कि आपने जो जन-जागरण का जिम्मा उठाया है, इससे निश्चित रूप से समाज में जागृति आएगी।

मंत्री परमार ने कहा कि आज पानी, जमीन में नहीं जा रहा है। पानी जमीन में जाने का सबसे बड़ा माध्यम वृक्ष है। पानी को बचाने के लिए वृक्षों का भी होना बहुत आवश्यक है, इसके लिए प्रचुर मात्रा में वृक्षारोपण भी आवश्यक है। मंत्री परमार ने कहा कि जल संरक्षण के प्रति लोगों में जागृति आ रही है। भले जागृति लाने वाले लोग शुरू में कम होते हैं लेकिन धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता जाता है। परमार ने कहा कि जनजागृति के ऐसे आयोजनों से, आने वाले समय में पानी का सदुपयाेग करने और उसे अनावश्यक खर्च करने को लेकर जनमानस के मध्य अनुशासन स्थापित हाेगा। मंत्री परमार ने आयोजकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पानी का एक एक बूंद हमारे लिए महत्वपूर्ण है, यह संदेश जन-जन तक पहुंचाने में निश्चित ही सफल होंगे। परमार ने कार्यक्रम में प्रदेश के बुंदेलखंड के विभिन्न जिलों से आए नन्हे बच्चों और विद्यालयीन विद्यार्थियों से संवाद भी किया। बच्चों ने प्रदर्शनी में अपने हर चित्र के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि कैसे हम पानी की एक-एक बूँद को सहज सकते हैं और जल का संरक्षण कर सकते हैं।

इस दौरान हिन्दुस्थान समाचार की मासिक पत्रिका "नवोत्थान" के जल विशेषांक का विमाेचन भी किया गया। इस अवसर पर परमार्थ संस्था के संस्थापक संजय सिंह, समर्थन संस्था की ओर से डॉ. योगेश कुमार, सेवानिवृत्त आईपीएस श्रीमति अनुराधा शंकर, वाल्मी की निदेशक श्रीमति सरिता बाला ओम प्रजापति, हिंदुस्थान समाचार न्यूज़ एजेंसी से वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मयंक चतुर्वेदी एवं श्रीमति स्मिता नामदेव सहित अन्य विद्वतजन उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि विवा कॉन अगुआ डे सेंट पॉल ईवी जर्मनी के हैम्बर्ग में सेंट पॉल शहर जिले का एक गैर-लाभकारी संगठन है। इस एसोसिएशन का उद्देश्य जरूरतमंद देशों में लोगों को पेयजल और स्वच्छता की सुविधा उपलब्ध कराना है। संगठन द्वारा मप्र में परमार्थ समाजसेवी संस्था और समर्थन संस्था के साथ मिलकर पन्ना, छतरपुर और निवाड़ी में पेयजल और स्वच्छता के क्षेत्र में काम किया जा रहा है। इसी क्रम में राजधानी भोपाल में 28-29 मार्च को दो दिवसीय "जल महोत्सव" जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें संस्था से जुड़े बच्चों द्वारा बनाए गए पोस्टरों की प्रदर्शनी लगाई गई है। इसके अलावा दो दिनों तक अलग अलग सत्रों में गतिविधियां आयोजित की जाएगी, जिसका उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को अपने साथ जोड़कर जल संरक्षण और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरुक करना है।

 

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