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पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में डाले जाने पर चीन ने किया बचाव

पाकिस्तान को 'ग्रे सूची' में डाले जाने पर चीन ने किया बचाव

बीजिंग डेस्क/ चीन ने शुक्रवार को पाकिस्तान पर आतंकवाद के मोर्चे पर बदनाम न करने व दबाव न डाले जाने की वकालत की। चीन ने यह बयान एक वैश्विक निगरानी संस्था द्वारा पाकिस्तान का नाम आतंकवाद को वित्तीय मदद देने वाले देशों की ‘ग्रे सूची’ डालने के बाद आया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के पाकिस्तान के ग्रे सूची में रखने के फैसले पर टिप्पणी नहीं करेगा और दुनिया को पाकिस्तान द्वारा ‘निष्पक्ष’ तरीके से किए गए प्रयासों को देखने का परामर्श देगा।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, हम टास्क फोर्स के फैसले पर टिप्पणी नहीं करेंगे। पाकिस्तान ने आतंकवाद के मुकाबले के बहुत से प्रयास किए हैं और बड़ी कुर्बानी दी है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस निष्पक्ष तरीके से देखना चाहिए और पाकिस्तान को ज्यादा समर्थन व मान्यता देनी चाहिए। लू ने कहा, पाकिस्तान के आतंकवाद से मुकाबले के प्रयासों को न सिर्फ चीन से बल्कि दुनिया के बहुत से देशों से मान्यता मिली है। हाल के सालों में इसने आतंकवाद वित्तपोषण से निपटने के लिए वित्तीय नियमन के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं और काफी महत्वपूर्ण प्रगति की है।

उन्होंने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि सभी प्रासंगिक पक्ष आरोप लगाने व दबाव बनाने के बजाय पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद से निष्पक्ष तरीके से लड़ाई के किए जा रहे प्रयासों देखेंगे। चीन और पाकिस्तान सदाबहार रणनीतिक साझीदार हैं। चीन पाकिस्तान के साथ आतंकवाद से मुकाबले में सहयोग बढ़ाने का इच्छुक है। एफएटीएफ ने गुरुवार को पाकिस्तान को आतंकवादियों पर लगाम लगाने में विफल रहने और लश्कर ए तैयबा, जमात-उद-दावा व जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को वित्त पोषण के लिए ग्रे सूची में डाल दिया।

पेरिस स्थित एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी संस्था है। इसकी स्थापना 1989 में धनशोधन, आतंकवादी वित्त पोषण व अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता से जुड़े दूसरे खतरों से लड़ने के लिए हुई थी। चीन का अपने सदाबहार दोस्त का बचाव करना नया नहीं है। चीन ने पाकिस्तान में 50 अरब के बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है, जो बेल्ट व रोड कार्यक्रम का हिस्सा हैं।

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