वाशिंगटन डेस्क/ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राजी करने के लिए अफ्रीकी-अमेरिका कार्ड खेला था। उस दौरान विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में ओबामा के शीर्ष सलाहकार रहे बेन रोड्स ने अपनी किताब में खुलासा किया है , ‘जब हम पेरिस पहुंचे तो सबसे बड़ा काम भारत को मनाना था। ‘रोड्स की किताब ‘ द वर्ल्ड एट इट इज : ए मेमोइर ऑफ द ओबामा व्हाइट हाउस ’ आज बाजार में आने वाली है।
पेरिस जलवायु समझौते के दौरान रोड्स रणनीतिक वार्ता के मामले में ओबामा के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे। जलवायु समझौते के दौरान भारत – अमेरिका के बीच हुई अंतिम दौर की बातचीत का विस्तृत ब्योरा देते हुए रोड्स कहते हैं कि भारत को मनाने के लिए ओबामा ने वहां के दो वार्ताकारों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली।
किताब के अनुसार, फिर ओबामा ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ करीब एक घंटे बातचीत की, लेकिन ओबामा द्वारा अफ्रीकी – अमेरिकी कार्ड खेले जाने तक भारत समझौते पर तैयार नहीं था। रोड्स ने लिखा है , ‘करीब एक घंटे तक मोदी इस तथ्य पर जोर देते रहे कि उनके यहां 30 करोड़ लोगों के पास बिजली नहीं है, और भारतीय अर्थव्यवस्था को वृद्धि देने के लिए कोयला सबसे सस्ता माध्यम है। उन्हें पर्यावरण की चिंता है , लेकिन उन्हें गरीबी से जूझ रहे लोगों की भी चिंता करनी है।
ओबामा ने उन्हें सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उठाए गए कदमों , बाजार में बदलाव के कारण स्वच्छ ऊर्जा की लागत में आयी कमी जैसी दलीलें दीं। ‘किताब के अनुसार, ‘लेकिन अब तक उन्होंने इस भेदभाव पर कुछ नहीं कहा था कि अमेरिका जैसे देशों ने अपना विकास कोयले से किया और अब वह भारत से ऐसा नहीं करने की मांग कर रहा है। ओबामा ने अंत में कहा, देखिए, मैं मानता हूं कि यह सही नहीं है। मैं अफ्रीकी-अमेरिकी हूं। मोदी जानबूझकर मस्कुराए और अपने हाथों की ओर देखा। वह बहुत दुखी लग रहे थे।’ रोड्स लिखते हैं , ‘मुझे मालूम है कि ऐसी व्यवस्था में रहना कैसा लगता है, जो भेदभावपूर्ण है।’