नई दिल्ली डेस्क/ देश के सबसे धनी कारोबारी मुकेश अंबानी ने मंगलवार को कहा कि भारत विश्व का तीसरा सबसे धनी देश बनने की राह पर है। उन्होंने कहा कि पहली तीन औद्योगिक क्रांतियों से चूक जाने के बाद भारत प्रौद्योगिकी पसंद युवा आबादी के दम पर अब चौथी औद्योगिक क्रांति की अगुवाई करने की स्थिति में है।
अंबानी ने 24वें मोबीकैम सम्मेलन को संबोधित करते हुए यहां कहा कि भारत का डिजिटल बदलाव अतुल्य और अप्रत्याशित है। उन्होंने कहा कि देश ने वायरलेस ब्राडबैंड के मामले में महज 24 महीने में 155वें स्थान से शीर्ष तक का सफर तय किया है।
अंबानी ने याद दिलाया कि 1990 के दशक में जब रिलायंस तेल परिशोधन तथा पेट्रोरसायन परियोजनाएं बना रही थी, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) करीब 350 अरब डॉलर था और देश बेहद गंभीर आर्थिक संकट से बाहर निकला ही था।
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत कम लोगों ने सोचा होगा कि हमारे देश की संभावनाएं इतनी उज्ज्वल हैं। आज हमारी जीडीपी करीब तीन हजार अरब डॉलर की हो गयी है और हम विश्व के तीसरे सबसे अमीर देश बनने की राह पर हैं।’’ अंबानी ने कहा कि मोबाइल कंप्यूटिंग वृहद स्तर पर डेटा की खपत के लिये उत्प्रेरक है और इसने युवा भारतीयों को व्यापक बदलाव वाली सोच के लिये उर्वर जमीन दी है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि अगले दो दशक में भारत विश्व की अगुवाई करेगा और वैश्विक आर्थिक वृद्धि के अगले दौर में योगदान देगा।’’ सबसे अमीर भारतीय व्यक्ति ने कहा कि कोयला एवं वाष्प तथा विद्युत एवं तेल पर आधारित क्रमश: पहली व दूसरी औद्योगिक क्रांतियों में भारत हाशिये पर रहा। कंप्यूटर केंद्रित तीसरी क्रांति में भारत ने दौड़ में भाग लेना शुरू किया।
उन्होंने कहा, ‘‘चौथी औद्योगिक क्रांति अब हमारे ऊपर है। इसे ऐसी प्रौद्योगिकियों के कारण पहचाना जा रहा है जिसने भौतिक, डिजिटल और जीववैज्ञानिक विश्व को दोफाड़ कर दिया है। मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि भारत के पास न सिर्फ चौथी क्रांति में भाग लेने का मौका है बल्कि देश इसकी अगुवाई कर सकता है।’’
अंबानी ने कहा, ‘‘ऐसा इस कारण संभव है क्योंकि आज का भारत पहले के भारत से बिलकुल अलग है। भारत की बड़ी प्रौद्योगिकी केंद्रित आबादी इसकी मुख्य ताकत है। जरा कल्पना करिये कि जब एक अरब से अधिक दिमागों की ताकत एक साथ मिलकर किस तरह की बुद्धिमता तैयार कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि बराबरी तथा समावेशी विकास आधारित एक लोकतंत्र होने के नाते भारत भविष्य की प्रौद्योगिकियों को खुले दिमाग से स्वीकार कर रहा है। यह उद्यमिता के लिये समृद्ध एवं उर्वर जमीन है और देश, दुनिया भर में स्टार्टअप के सबसे तेज विकास की जमीन बनकर उभरा है। उन्होंने कहा, ‘‘आज देश में प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्टअप की तीसरी सबसे बड़ी संख्या है। इससे पहले भारत ने कभी भी इस कदर उद्यमिता का उभार नहीं देखा था।’’