वाशिंगटन डेस्क/ भारत में गैर – निष्पादित कर्ज (एनपीएल) यानी फंसे ऋण के ऊंचे स्तर को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत को कुछ बैंक खासकर सरकारी बैंकों में पूंजीकरण के स्तर को मजबूत करने की जरूरत है।
आईएमएफ की मौद्रिक एंव पूंजी बाजार विभाग की प्रमुख एना इलियाना ने बुधवार को कहा बैंकों में पूंजीकरण के स्तर को मजबूत करना भारत के लिए वित्तीय क्षेत्र आकलन कार्यक्रम (एफएसएपी) की सिफारिशों में एक है।
मुद्राकोष की अधिकारी ने कहा , ” भारत में गैर – निष्पादित ऋण का स्तर अभी भी काफी अधिक है। इसे देखते हुए कुछ बैंकों खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पूंजीकरण के स्तर को मजबूत करना चाहिए। ”
उन्होंने कहा कि भारत ने बैंकों में पूंजी बफर को बढ़ाने और सरकारी बैंकों में कामकाज को बेहतर बनाने के लिए भी कुछ कदम उठाए थे। इनका कुछ सकारात्मक असर हुआ है।
उन्होंने कहा कि गैर – निष्पादित कर्ज की पहचान और उनके समाधान के लिए संस्थागत तंत्र वास्तव में बैंकिंग प्रणाली से फंसे कर्ज को साफ करने की प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इसी दिशा में काम करना जारी रखना चाहिए।
भारतीय बैंकिंग प्रणाली से जुड़े एक सवाल के जवाब में आईएमएफ के मौद्रिक एवं पूंजी बाजार विभाग के निदेशक और वित्तीय सलाहकार टोबिस एड्रियन ने कहा कि भारत में गैर – निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का स्तर ऊंचा बना रहेगा।
उन्होंने कहा , ” इस मोर्चे पर कुछ सुधार हुआ है लेकिन हम भारत में एनपीए को कम करने में और प्रगति का स्वागत करेंगे। ” भारत सरकार ने फरवरी में कहा था कि अप्रैल – दिसंबर 2018-19 में फंसे कर्ज में 31,168 करोड़ रुपये की गिरावट हुई। इसकी तुलना में मार्च 2018 के अंत में फंसा कर्ज 8,95,601 करोड़ रुपये था।