नयी दिल्ली डेस्क / सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं बताने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली पिछली संप्रग सरकार की अपील को वापस लेगी। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘‘हमने :सरकार ने: एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमें कहा है कि हम अपील को वापस लेंगे।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र ने इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर दिया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एक अलग याचिका दाखिल की थी। रोहतगी ने कहा, ‘‘एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है।’’ उन्होंने 1967 के शीर्ष अदालत के एक फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि यह अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है क्योंकि सरकार ने इसकी स्थापना की थी, मुस्लिमों ने नहीं।
पहले भी शीर्ष विधि अधिकारी ने उच्चतम न्यायालय में कहा था कि एक केंद्रीय कानून के तहत अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी थी और इसके साथ ही 1967 में अजीज बाशा मामले में पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने कहा था कि यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है।
रोहतगी ने कहा था कि उक्त फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए केंद्रीय कानून में 1981 में एक संशोधन लाया गया ताकि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया जा सके जिसे हाल ही में उच्च न्यायालय ने असंवैधानिक करार दिया है।
रोहतगी ने अप्रैल में पीठ के समक्ष कहा था, ‘‘आप अजीज बाशा फैसले की अवहेलना नहीं कर सकते। भारतीय संघ का रख है कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देना अजीज बाशा फैसले के विपरीत होगा।’’ पीठ ने तब कंेद्र को आवेदन दाखिल करने और उसके द्वारा दाखिल अपील को वापस लेने के लिए आठ सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी थी। हलफनामा दाखिल करते हुए रोहतगी ने कहा, ‘‘हम अजीज बाशा फैसले को मानते हैं और इसलिए हम पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा की गयी अपील को वापस ले रहे हैं।’’