यूपी डेस्क/ यूपी में नए शासनादेश के बाद सभी धर्म-संप्रदाय वर्ग के लिए अनिवार्य हुए विवाह पंजीकरण में देरी करना अब भारी पड़ेगा। इस पर हर साल 50 रुपये की दर से बढ़ा हुआ शुल्क निबंधन व स्टांप विभाग में जमा करना होगा। एआईजी स्टांप व निबंधन एसके त्रिपाठी ने बताया कि विवाह पंजीकरण एक्ट लागू होने के बाद विवाह करने वाला जोड़ा जितनी देर में पंजीकरण को आवेदन करेगा उसे उतना ही ज्यादा शुल्क चुकाना होगा। पहले साल जहां यह मात्र दस रुपये होगा तो दो साल बाद शुल्क सौ रुपये और दस साल बाद पांच सौ रुपये जमा कराना पड़ेगा।
पंजीकरण शुल्क का यह नियम हर धर्म व जाति वर्ग के लिए समान रहेगा। विवाह पंजीकरण को आवेदन निबंधन कार्यालय पहुंचकर अथवा घर बैठे ऑनलाइन करने की व्यवस्था है। इसके लिए पति और पत्नी दोनों को ही मांगी वांछित जानकारी के साथ आवेदन पत्र जरूरी दस्तावेजों के साथ संलग्न कर स्टांप व निबंधन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।
दंपती के आधार व मोबाइल नंबर का लिंकअप भी जरूरी होगा। आवेदन में दर्ज सूचनाओं के सत्यापन के बाद विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र भी ऑनलाइन जेनरेट कर प्रिंट निकालने के लिए जारी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि विवाह पंजीकरण अधिकारी के फैसले के खिलाफ सहायक महानिरीक्षक निबंधन के यहां अपील दाखिल होगी। नई व्यवस्था के बाद अब सभी धर्मों के युगल जोड़ों का विवाह पंजीयन भी उप निबंधक कार्यालय में हो सकेगा। इसके लिए विभागीय वेबसाइट को अपडेट कर स्पीडअप बनाने का कार्य भी अंतिम दौर में है। फिलहाल विवाह पंजीकरण शुल्क उप निबंधक कार्यालय में संचालित काउंटर पर जमा कराने की व्यवस्था की गई है।
आधार कार्ड , पति-पत्नी के दो पासपोर्ट साइज फोटो, शादी के प्रमाण के साथ विवाह के समय का फोटोग्राफ, हाईस्कूल सर्टिफिकेट के आधार पर दंपती का जन्म प्रमाणत्र, शादी की तारीख व स्थान का प्रमाणिक अभिलेख, शादी का कार्ड अगर छपा हो।