इंफाल
मणिपुर में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन सकती है। यहां बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है। राज्यपाल से आज 10 विधायकों ने मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के खत्म होने की उम्मीद जगी है।जिन 10 विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात की है उनमे बीजेपी के 8, एनपीपी के 1 और 1 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। इन विधायकों ने इंफाल के राजभवन में मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद निर्दलीय विधायक सपाम निशिकांत सिंह ने कहा, "लोग एक लोकप्रिय सरकार चाहते हैं और यही कारण है कि हम राज्यपाल से मिलने यहां आए हैं। हमने अन्य बातों पर भी चर्चा की, जैसे कि लोकप्रिय सरकार के गठन के बाद राष्ट्रपति शासन का कामकाज पहले जैसा नहीं रह सकता है। मुख्य रूप से और मूल रूप से, मुख्य मुद्दा एक लोकप्रिय सरकार का गठन था। राज्यपाल की प्रतिक्रिया भी अच्छी थी।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने हमारी बात पर गौर किया और लोगों के सर्वोत्तम हित में कार्रवाई शुरू करेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या वे सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे, उन्होंने कहा कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बारे में फैसला लेगा.
'विरोध करने वाला कोई नहीं…'
बीजेपी नेता ने कहा, "स्पीकर सत्यव्रत ने 44 विधायकों से व्यक्तिगत और संयुक्त रूप से मुलाकात की है. कोई भी ऐसा नहीं है, जो नई सरकार के गठन का विरोध करता हो. लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पिछले कार्यकाल में, कोविड के कारण दो साल बर्बाद हो गए थे और इस कार्यकाल में, संघर्ष की वजह से दो और साल बर्बाद हो गए हैं."
बता दें कि मई 2023 में मैतेई और कुकी-ज़ोस के बीच जातीय संघर्ष से निपटने के लिए उनकी सरकार की आलोचनाओं के बीच, बीजेपी नेता एन बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद, फरवरी से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है.
मौजूदा वक्त में 60 सदस्यीय विधानसभा के अंदर 59 विधायक हैं, जिनमें से एक सीट एक विधायक की मौत की वजह से खाली है. बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन में 32 मैतेई विधायक, तीन मणिपुरी मुस्लिम विधायक और नौ नागा विधायक हैं, कुल मिलाकर 44 विधायक हैं.
कांग्रेस के पास पांच विधायक हैं, सभी मैतेई हैं. इसके अलावा बचे हुए 10 विधायक कुकी हैं, जिनमें से सात ने पिछला चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीता था, दो कुकी पीपुल्स अलायंस के हैं और एक निर्दलीय है.
बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को दिया इस्तीफा, उसके बाद राष्ट्रपति शासन मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है। 9 फरवरी को भाजपा सरकार का नेतृत्व करने वाले तत्कालीन सीएम एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। बीरेन सिंह पर राज्य में डेढ़ साल से ज्यादा समय तक चली हिंसा न रोक पाने के चलते काफी दबाव था।
मणिपुर में कुकी-मैतेई के बीच 3 मई, 2023 से अब तक हिंसा हो रही है। इन दो सालों में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। 1500 से ज्यादा घायल हुए। 70 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। 6 हजार से ज्यादा FIR दर्ज हुई हैं। विपक्षी पार्टियां हिंसा के मुद्दे पर लगातार NDA से सवाल पूछ रही थीं।
अभी मणिपुर में 37 भाजपा विधायक, बहुमत से 6 ज्यादा 60 सीटों वाले मणिपुर विधानसभा में अभी 59 विधायक हैं। एक सीट विधायक की मौत के कारण खाली है। भाजपा के नेतृत्व वाले NDA में 32 मैतेई विधायक, तीन मणिपुरी मुस्लिम विधायक और 9 नगा विधायक हैं। NDA के कुल 44 विधायक हैं।
कांग्रेस के पास पांच विधायक हैं। सभी मैतेई हैं। बाकी 10 विधायक कुकी हैं, जिनमें से सात 2022 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीते थे। दो कुकी पीपुल्स अलायंस के हैं और एक निर्दलीय है।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है
भाजपा नेता एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फरवरी से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है। मई 2023 में शुरू हुए मेइती और कुकी-जो समुदाय के बीच जातीय संघर्ष से निपटने के उनके सरकार के तरीके को लेकर आलोचनाओं के बीच बीरेन ने इस्तीफा देने का फैसला लिया था।
60 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 59 विधायक
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 59 विधायक हैं। एक सीट एक विधायक के निधन के कारण रिक्त है। भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में कुल मिलाकर 44 विधायक हैं, जिसमें 32 मेइती, तीन मणिपुरी मुस्लिम और नौ नगा विधायक हैं। कांग्रेस के पांच विधायक हैं – सभी मेइती हैं। शेष 10 विधायक कुकी हैं – उनमें से सात ने पिछला चुनाव भाजपा के टिकट पर जीता था, दो कुकी पीपुल्स अलायंस के हैं, और एक निर्दलीय विधायक है।
एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने की राज्यपाल से चर्चा
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से राज्य के मौजूदा हालात पर चर्चा की और उनसे ग्वालताबी की घटना के समाधान के लिए प्रदर्शनकारियों को बातचीत के लिए आमंत्रित करने का आग्रह किया। पिछले सप्ताह ग्वालताबी की घटना को लेकर मेइती बहुल इंफाल घाटी में विरोध प्रदर्शन हुए थे।
यह आरोप लगाया गया था कि सुरक्षा बलों ने उस सरकारी बस को ग्वालताबी जांच चौकी के पास रोक लिया था जिस पर 20 मई को उखरूल जिले में शिरुई लिली उत्सव को कवर करने के लिए जा रहे पत्रकार सवार थे। आरोप यह भी है कि सुरक्षा बलों ने सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय (डीआईपीआर) के कर्मचारियों को बस के शीशे पर लिखे राज्य के नाम को सफेद कागज से ढकने के लिए मजबूर किया था।
देर रात प्रेस वार्ता में सिंह ने कहा, ‘‘आज मैंने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की। मैंने राज्य की मौजूदा स्थिति के बारे में उनसे चर्चा की और कुछ बिंदु सुझाए। उन्होंने मेरी बात सुनी और प्रदर्शनकारियों को आमंत्रित करके मौजूदा संकट को हल करने के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू की जाएगी। मुझे उम्मीद है कि ऐसा होगा।’’