लखनऊ डेस्क/ राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होने के बाद अब यूपी की नजर अपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर टिक गई है| कारण ये है कि ये दोनों ही इस समय लोकसभा सदस्य हैं और यूपी में सीएम व डिप्टी सीएम बने रहने के लिए इनका विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य होना जरूरी है| छह महीने में इन्हें किसी सदन का सदस्य हो जाना है, जबकि चार महीने बीत चुके हैं| माना जा रहा है कि 29 से 31 जुलाई को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लखनऊ दौरे के बाद दोनों का इस्तीफा हो जाएगा| योगी गोरखपुर से सांसद हैं, जबकि केशव मौर्य इलाहाबाद के फूलपुर से सांसद हैं|
इन दोनों के अलावा तीन अन्य नेता डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा, परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वतंत्र देव सिंह और राज्यमंत्री मोहसिन रजा को लेकर भी पार्टी रणनीति बनाने में जुटी है| ये तीनों ही किसी भी सदन का हिस्सा नहीं हैं| हालांकि बीजेपी ने डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा को पहले ही विधान परिषद में नेता सदन घोषित कर दिया है, ऐसे में उनका एमएलसी बनना करीब-करीब तय माना जा रहा है| विधानपरिषद की स्थिति पर गौर करें तो 2018 तक विधान परिषद में प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से सिर्फ एक जगह बची है| सपा से बसपा में जा चुके विधान परिषद सदस्य अंबिका चौधरी और बसपा से निष्कासित नसीमुद्दीन सिद्दीकी की सदस्यता पर तलवार लटकी है| इसके अलावा बदायूं स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए बनवारी यादव के निधन से एक सीट खाली है|
बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य लोकसभा के सदस्य हैं| संवैधानिक बाध्यता है कि उन्हें विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य 6 महीने में हो जाना है| लिहाजा वह लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देंगे| लेकिन त्यागपत्र कब देना है, वह किस सदन का हिस्सा होंगे, यह पार्टी नेतृत्व को तय करना है| वहीं डिप्टी सीएम के विधानपरिषद सदस्य होने के सवाल पर राकेश ने कहा कि यह सही है कि पार्टी ने उन्हें विधान परिषद में नेता सदन घोषित किया है| लेकिन वह विधानपरिषद सदस्य ही बनेंगे, इस पर अंतिम निर्णय पार्टी नेतृत्व ही लेगा|