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मोदी जी नहीं चाहते कि बच्चे संविधान की प्रस्तावना पढ़कर जागरूक हों- शाहनवाज़ आलम

मोदी जी नहीं चाहते कि बच्चे संविधान की प्रस्तावना पढ़कर जागरूक हों- शाहनवाज़ आलम
  • एनसीईआरटी की पुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना हटाने और बाबरी मस्जिद को तीन गुम्बद वाली संरचना लिखने के खिलाफ़ अल्पसंख्यक कांग्रेस ने भेजा शिक्षा मन्त्री को ज्ञापन

TIL Desk लखनऊ:👉अल्पसंख्यक कांग्रेस ने एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित कुछ पुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना हटा दिए जाने और बाबरी मस्जिद को ‘तीन गुम्बद वाली संरचना’ लिखने के खिलाफ़ केंद्रीय शिक्षा मन्त्री धर्मेंद्र प्रधान को प्रदेश भर से ज्ञापन भेजकर ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की माँग की है.

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में कहा कि एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित कक्षा 3 की हिंदी, अंग्रेजी, गणित और ‘नई दुनिया हमारे आसपास’ (जो EVS की जगह लेती है) की किसी भी अपडेट की गई पाठ्यपुस्तक में प्रस्तावना शामिल नहीं है। पुरानी EVS पुस्तक ‘लुकिंग अराउंड’ और हिंदी पुस्तक ‘रिमझिम 3’ में प्रस्तावना शामिल थी। इसी तरह नई अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक ‘पूर्वी’ में राष्ट्रगान शामिल है, जबकि संस्कृत पुस्तक ‘दीपकम’ में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत दोनों शामिल हैं, लेकिन प्रस्तावना को छोड़ दिया गया है।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावना संविधान का लघु रूप है और राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत या मौलिक अधिकार और कर्तव्य इसका स्थान नहीं ले सकते।शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इसी तरह इस वर्ष जून में एनसीईआरटी ने कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में भी संशोधन किया और ‘बाबरी मस्जिद’ शब्द को हटा दिया जिसे अब नए संस्करण में ‘तीन गुंबद वाली संरचना’ के रूप में संदर्भित किया गया है। यह प्रकरण स्पष्ट तौर पर ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ है. उन्होंने कहा कि इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अराजक तत्वों द्वारा तोड़ी गयी इमारत को ‘बाबरी मस्जिद’ ही कहा है. ऐसे में छेड़छाड़ सुप्रीम कोर्ट की भी अवमानना है जिसपर सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाई करनी चाहिए.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा अपने स्वभाव में संविधान विरोधी पार्टी है. उसे संविधान की प्रस्तावना से डर लगता है कि अगर इसे बच्चे पढ़ेंगे तो वो धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी मूल्यों से प्रभावित हो जाएंगे और आरएसएस की सांप्रदायिक और समता विरोधी विचारधारा के विरोधी हो जाएंगे. इसीलिए मोदी सरकार ने किताबों से प्रस्तावना हटा दिया है.

उन्होंने कहा कि भाजपा के दो राज्य सभा सदस्य प्रस्तावना हटाने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल ला चुके हैं तो वहीं प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद कर अध्यक्ष बिबेक देबरॉय भी संविधान की प्रस्तावना को हटा देने की बात कर चुके हैं. इसलिए यह पूरी साज़िश संविधान बदलने की कोशिश क हिस्सा है जिसे कांग्रेस सफल नहीं होने देगी.

द्वारा जारी

शाहनवाज़ आलम
चेयरमैन अल्पसंख्यक विभाग
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी

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