TIL Desk Lucknow/ एसएलएमजी बीवरेजेज सतत विकास (भविष्य) के प्रति संकल्प दिखाते हुए कोका कोला ब्रांड के लिए 100 फीसदी रीसाइकल्ड पेट (PET) बॉटल्स का इस्तेमाल करेगी. फूड ग्रेड पेट बॉटल्स की यह पैकेजिंग पर्यावरण सुरक्षा और सतत विकास की दिशा में बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. यह लढाणी समूह की प्रमुख कंपनी है. जो भारत में कोका कोला के लिए बॉटलिंग की फ्रेंचाइजी के रूप में काम करती है. इस रणनीतिक कदम से न केवल पर्यावरण के प्रति एसएलएमजी के अडिग समर्पण का पता लगता है, बल्कि भारत में बीवरेजेज उद्योग ने भी अहम मुकाम हासिल किया है. पूरी तरह रीसाइकल्ड और फूड ग्रेड PET से बनी ये नए किस्म की कोका कोला बॉटल पर्यावरण सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक बनाएगी.
नए (या वर्जिन) PET की खपत को बड़ी मात्रा में सीमित रखा जा सकेगा. साथ ही एसएलएमजी बीवरेजेज अपने कार्बन उत्सर्जन (फुटप्रिंट) को भी कम कर पाएगी. यह कंपनी भारत सरकार के अप्रैल 2025 तक रीसाइकल्ड रेजिन को 25 प्रतिशत तक पहुंचने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य से भी ताल मिला रही है. खास बात यह है कि एसएलएमजी बीवरेजेज ने सरकार के संकल्प से डेढ़ साल पहले ही इस परिवर्तनकारी यात्रा की शुरुआत कर दी है और एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है.
एसएलएमजी बीवरेजेज के प्रबंध निदेशक (एमडी) और चेयरमैन एसएन लढाणी ने बताया, ”कोका कोला बॉटल्स के लिए 100 फीसदी रीसाइकल्ड फूड ग्रेड पेट बॉटल्स के इस्तेमाल से जहां शीतल पेय (बीवरेजेज) उद्योग में एक बड़ा मील का पत्थर कायम हुआ है, वहीं पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में एसएलएमजी की निरंतर प्रतिबद्धता भी साबित हुई है. इस परिवर्तनकारी यात्रा को शुरू करके एसएलएमजी बीवरेजेज न केवल ससत विकास के लक्ष्यों से तालमेल किया है, बल्कि उसे गति भी प्रदान कर रहे हैं.”
रीसाइकल्ड पेट बॉटल्स 250 एमएल और 750 एमएल पैक के आकार में उपलब्ध होंगी. साथ ही उपभोक्ताओं को भी पर्यावरणीय पहल में हिस्सेदारी के लिए आमंत्रित किया जाएगा. यह बॉटल 100 प्रतिशत फूड ग्रेड पेट (कैप और लेबल के अलावा) से बनी है, जिसका खास फीचर है – रीसाइकल मी अगेन. पैकेजिंग पर ही यह संदेश पढ़ा जा सकता है. उपभोक्ताओं को पैकेजिंग पर छपे शब्दों- 100 % रीसाइकल्ड पेट बॉटल- के जरिए जागरूक बनाया जा सकता है.
एसएलएमजी बीवरेजेज को प्रेरित करने वाली शख्सीयत एसएन लढाणी का कहना है, ”जब कोका कोला भारतीय बाजार में दोबारा आया, तब कोका कोला की पहली बॉटल हमने ही बनाई थी और अब 100 % रीसाइक्लेबल पेट बॉटल में कोका कोला को लांच करने वाले भी हम ही हैं. सतत विकास हमारे दिल के करीब है. यह केवल वादा नहीं है, बल्कि एक पुकार है. ”
श्री लढाणी ने यह भी कहा कि हम केवल सफलता की सीढ़िया ही नहीं चढ़ना चाहते हैं, बल्कि इसमें अग्रणी रहने का भी प्रयास करते हैं. सतत विकास के प्रति संकल्प से हमारा उत्साह बढ़ता है कि वास्तविक बदलाव लाया जाए. साथ ही सतत विकास व भविष्य की आधारशिला रखी जाए. हमारा मानना है कि प्रत्येक बॉटल केवल मौज-मस्ती (रीफ्रेशमेंट) का वाहक मात्र नहीं है, बल्कि सकारात्मक प्रभाव का भी प्रतीक है, एक ऐसा प्रभाव जो हम इस दुनिया पर डाल सकते हैं.
बेहतरीन प्रदर्शन, सक्षम और टिकाऊ व्यवसाय के प्रति अपनी अडिग प्रतिबद्धता की दिशा में एसएलएमजी साहसिक और दूरंदेशी निर्णय ले रही है, ताकि एक हरित और टिकाऊ भविष्य का निर्माण किया जा सके. कोका कोला के लिए रीसाइकल्ड पेट बॉटल्स अपनाने के साथ ही एसएलएमजी का मानना है कि दीर्घकालिक तौर तरीके न केवल अपनाए जाने चाहिए, बल्कि इन्हें अपनाया भी जा सकता है और ये आवश्यक भी है, क्योंकि हम पर्यावरण के प्रति सजग दुनिया में एकसाथ आगे बढ़ रहे हैं. एसएलएमजी का नवोन्मेष और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जो समर्पण है, वह न केवल बीवरेजज उद्योग को नया स्वरूप दे रहा है, बल्कि टिकाऊ व्यवसाय के नए मापदंड भी स्थापित कर रहा है.
एसएलएमजी बीवरेजेज के कार्यकारी निदेशक विवेक लढाणी ने बताया, ”PET प्लास्टिक बॉटल का इनके पहले जीवन काल से भी आगे उपयोग है. हमारी नई बॉटल्स फूड ग्रेड रीसाइकल्ड PET से बनी हैं और इन्हें भी रासाइकल किया जा सकता है. यानी आप इनसे फिर नई बॉटल बना सकते हैं. रीसाइकल्ड पेट को अपनाकर भारत में प्लास्टिक के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में यह एक सही कदम है. ”
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कंपनी के इस कदम की प्रशंसा करते हुए कहा, ”उत्तर प्रदेश में फूड पैकेजिंग के लिए रीसाइकल्ड पेट का इस्तेमाल करने वाली पहली एफएमसीजी कंपनी एसएलएमजी को मैं बधाई देना चाहता हूं. मेरी राय में ऐसे नवाचार के जरिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में एक वास्तविक चक्रीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकानामी) का निर्माण किया जा सकता है. एसएलएमजी जैसी कंपनियां रीसाइकलिंग उद्योग को बदल रही हैं और प्लास्टिक की मात्रा में कमी ला रही हैं. प्लास्टिक हर साल धरती पर बढ़ता जा रहा है. एसएलएमजी पुराने प्लास्टिक को फूड ग्रेड प्लास्टिक में बदलने के लिए हाई-टेक तौर-तरीके अपना रहे हैं.”
श्री मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सभी खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को प्रोत्साहित कर रहा है ताकि वे प्लास्टिक को रीसाइकल करने के लिए प्रमाणित और स्वीकृत आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करें और प्लास्टिक को फूड पैकेजिंग में ज्यादा अपनाया जा सके. इससे पेट बॉटल के कचरे में कमी आएगी.
एसएलएमजी बीवरेजेज ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह 2025 तक 10,000 करोड़ का टर्नओवर करना चाहता है. .एसएलएमजी की इस साल दो नए प्लांट खोलने की योजना है. वह 2030 तक अपनी क्षमता तीन गुनी करना चाहती है ताकि भारत में बढ़ रही बीवरेजेज की मांग की पूर्ति की जा सके. एसएलएमजी बीवरेजेज, लढाणी समूह की प्रमुख कंपनी है. यह कोका कोला से तीस साल से भी ज्यादा समय से जुड़ी है. भारत में यह अग्रणी बॉटलर है, जो टिकाऊ विकास और जिम्मेदार निर्माता के तौर पर काम करते रहना चाहती है.
वर्तमान में एसएलएमजी बीवरेजेज का उत्तर प्रदेश में 90 फीसदी, उत्तराखंड, मप्र और बिहार में 100 फीसदी क्षमता से काम हो रहा है. यह 30 करोड़ से ज्यादा लोगों तक अपने 15 लाख आउटलेट्स के जरिए पहुंचती है. उसके पास 1500 से ज्यादा वितरकों का नेटवर्क है. ग्रामीण क्षेत्रों में 8000 स्पोक्स हैं. चारों राज्यों में अत्यधिक सफल बॉटलिंग फ्रेंचाइज के माध्यम से यह पूरे उत्तर भारत की मांग की आपूर्ति करती है.