लंदन डेस्क/ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को बेक्जिट मामले में बुधवार को संसद से दूसरा झटका लगा। दरअसल, सांसदों ने बिना किसी समझौते के ब्रेक्जिट को रोकने संबंधी विधेयक को समर्थन दे दिया। इसके बाद जॉनसन ने 15 अक्टूबर को देश में मध्यावधि चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा। विपक्षी सांसदों और बागी टोरियों ने सुनिश्चित किया कि ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बिना किसी समझौते के बाहर होने से रोकने के लिए यह विधेयक पारित हो। इसका अर्थ है कि जॉनसन यूरोपीय संघ से बाहर होने की 31 अक्टूबर की समयसीमा को बढ़ाने की यूरोपीय संघ (ईयू) से मांग करेंगे।
जॉनसन ने बुधवार को संसद में तीखी बहस के दौरान कहा कि अगर कॉर्बिन सरकार की ब्रेक्जिट रणनीति के खिलाफ एक मसौदा कानून के पक्ष में मतदान कर सकते हैं तो उन्हें “इस देश के लोगों को अपना दृष्टिकोण रखने की अनुमति देने के लिए” चुनाव का भी समर्थन करना चाहिए। जॉनसन बुधवार को संसद में नयी ब्रेक्जिट नीति की ओर बढ़ते दिखे। इससे पहले उन्होंने किसी भी कीमत पर अगले महीने ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से निकालने का वादा किया था, जिस पर संसद में हुए मतदान में उन्हें निराशा हाथ लगी थी। कन्जरवेटिव पार्टी के नेता जॉनसन ने कहा कि अगर सांसद बुधवार को उनके खिलाफ मतदान करते हैं और ब्रेक्जिट के लिये तीन और महीने मांगने के लिये मजबूर करते हैं तो वह चाहेंगे कि 15 अक्टूबर को मध्यावधि चुनाव कराए जाएं।
बोरिस जॉनसन ने कहा, “लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।” जॉनसन का तर्क है कि 31 अक्टूबर को समझौते के साथ या बिना समझौते के ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बाहर लाने की उनकी धमकी, यूरोपीय संघ के 27 अन्य देशों के नेताओं को बेहतर शर्तों पर सहमत होने के लिए मजबूर करेगी। जॉनसन के आलोचकों का मानना है कि वह आग से खेल रहे हैं क्योंकि आर्थिक क्षति के बीच ब्रिटेन को अलग करने की वजह से उसके अपने पड़ोसी देशों के साथ चले आ रहे लगभग आधी सदी पुराने संबंधों को नुकसान हो सकता है।