TIL Desk Lucknow/ राजधानी लखनऊ अपनी तहजीब के लिए जानी जाती है. यही वजह है कि लखनऊ में साल में चार बार सिल्क एग्जीबिशन आयोजित होती है. जिसमें अलग-अलग राज्यों से कारीगर अपने यहां की विशेष हस्त कारीगरी को प्रदर्शित करते हैं. शहर के कैसरबाग स्थित सफेद बारादरी में 4 से 10 मार्च 2024 तक 7 दिवसीय उमंग सिल्क एंड कॉटन एक्सपो की एग्जिबिशन की शुरुआत हुई है. एग्जीबिशन में 18 राज्यों से बुनकर अपने राज्यों की विशेषताओं को प्रदर्शित कर रहे हैं. जिसे लखनऊवासी बड़े ही मन से पसंद कर रहे हैं. इसमें महिलाओं के लिए सलवार कमीज, साड़ी और कुर्ती शामिल हैं. सिल्क एग्जीबिशन में कांजीवरम उपाड़ा, गढ़वाल पटोला, बैंगलोर सिल्क, कांथा वर्क, डकारी जामदानी, पैठानी, बनारसी, भागलपुरी की साड़ियों, कश्मीरी पश्मीना साड़ियां, सूट सॉल जैकेट स्टोल आदि बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. सिल्क एक्सपो व सेल लखनऊ में देशभर से आए सिल्क बुनकरों व डिजाइनरों ने अपने अपने प्रदेश की संस्कृति काव्य और त्यौहारों को सिल्क पर छापा है.
सिल्क एग्जीबिशन में खरीदारी के लिए पहुंचीं मोनिका दिवेदी ने बताया कि सिल्क एक्सपो में बहुत अच्छी-अच्छी क्वालिटी की साड़ियां उपलब्ध हैं. स्पेशियली यहां पर अलग-अलग प्रदेशों के विशेष कारीगरी वाली साड़ियां हैं, जिन्हें देखकर ही मन खुश हो रहा है. फिलहाल उन्होंने दो साड़ियां पसंद की हैं. क्वालिटी में बहुत अच्छी है और स्पेशियली यह सिल्क है. सिल्क की कारीगरी और पैटर्न बहुत शानदार होता है. यहां वैवाहिक व विंटर कलेक्शन की अच्छे किफायती दरों में आकर्षण छूट पर उपलब्ध हैं. जिसमें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के बेहतरीन कलेक्शन हैं. देशभर की साड़ियों का फैशन शो भी अयोजित किया गया. लखनऊ की रहने वाली नेहा पांडेय ने बताया कि बचपन से अभी तक इस तरह की कई एग्जीबिशन देखी हैं. पेशे से अध्यापिका होने के नाते पहनावे पर काफी ध्यान देना होता है. बतौर अध्यापिका मुझे साड़ी पहनकर स्कूल जाना होता है. इसलिए अधिक से अधिक में साड़ी खरीदना पसंद करती हूं. सिल्क एग्जिबिशन में हर बार की तरह यहां पर एक छत के नीचे बहुत सारे कलेक्शन हैं. फिलहाल मैंने असम कारीगरी की तीन साड़ियां ली हैं.
ओरिजिनल कांजीवरम वैरायटी : दुकानदार गोवर्धन अन्ना बेंगलुरु से आए हैं और अपने यहां की कांजीवरम सिल्क साड़ियां लेकर सिल्क एग्जिबिशन में हैं. सात दिन का यह कार्यक्रम है और यहां पर काफी अच्छी बिक्री होती है. हर बार यहां पर अपनी दुकान सजाते हैं. कांजीवरम एक ऐसा वर्क होता है, जिसे हर कोई पसंद करता है. सिल्क पर कांजीवरम का वर्क महिलाओं को बहुत पसंद आता है. दीपक बताते हैं कि यह हमारे यहां की प्रसिद्ध साड़ी है. इस एग्जीबिशन में जो लोग आते हैं, ज्यादातर वह कांजीवरम सिल्क ही पसंद करते हैं. बाजार में खाने को तो बहुत से कांजीवरम साड़ियां उपलब्ध होती हैं, लेकिन वह ओरिजिनल है या नहीं इसकी शिकायत रहती है.
बता दें, एक्जीविशन में गुजरात की पटोला सिल्क, तेलांगना की उपाड़ा, सिल्क तमिलनाडु की कांजीवरम सिल्क, महाराष्ट्र की पैठानी सिल्क, पर गई कलाकारी लोगो को अपनी ओर खीच रही है. इस प्रदर्शनी में पश्चिम बंगाल के काला हस्ती से आए बुनकर ने भगवान श्रीकृष्ण के नौका विहार का दृश्य सिल्क पर पेंट किया किया है. साड़ियों पर बनी डिजाइनों में कश्मीरी केशर की डिजाइन के साथ ही कश्मीरी कहवा भी है. इसके अलावा प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ से कोसा, घिचा, मलबरी रॉ सिल्क, एब्लॉक प्रिंटेड सिल्क साड़ी गुजरात से बंधनी, पटोला कच्छ एम्ब्रोयडरी, मिरर वर्क एवं डिजाइनर कुर्ती, मध्य प्रदेश से चंदेरी, महेश्वरी काटन एंड सिल्क साड़ी सूट, डकारी जामदानी एवं बनारसी सिल्क, तान्चोयी सिल्क, मैसूर सिल्क की साड़ियों के साथ धर्मावरम तस्सर, ढाका, डिजाइनर ब्लाउज, सलवार सूट, पंजाब की फुलकारी वर्क सूट व साड़ी हैदराबाद की हैवी नेकलेस, नोज पिन, रिंग, बैंगल्स, मांग टीका, कमरबंद, और मुंबई वेस्टर्न पैटर्न ज्वैलरी व पालकी ज्वैलरी भी है.