TIL Desk Lucknow/ महिला विधेयक को लेकर आज 21 शहरों में कांग्रेस की बेटियां प्रेस कांफ्रेंस कर रही हैं। सुप्रिया श्रीनेत ने लखनऊ में प्रेस वार्ता की जिसके मुख्य अंश प्रस्तुत हैं……………..
- देश की आधी आबादी को उनका हक दिलाना ऐसा प्रतीत होता है की बस थाली सजाई गई। लखनऊ के लोग ठग्गू के लड्डू को जानते हैं और बीजेपी की भी यही टैग लाइन है की ऐसा कोई सगा नही जिसको हमने ठगा नही।
- ये झुनझुना है बीजेपी का और उन्होंने महिलाओं की इंटेलिजेंस को बहुत कम तौला है। अगर ये महिला आरक्षण लागू करना चाहते तो ये तत्काल लागू करते लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
- इस बिल की असलियत है की महिला आरक्षण का इंतज़ार बढ़ा रहेगा और ग्रह मंत्री कह रह हैं की 2029 तक लागू होगा और बाकी सांसद के अनुसार 2039 तक लागू होगा।
- अदानी का महाघोटाला छुपाने के लिए पहले इंडिया का नाम बदलने की राजनीत हुई और जब उससे काम नही बना तो महिला बिल ले आए जिसके लिए उन्हें अनिश्चितकाल का इंतजार है।
- इस बिल में अनुसूचित जन जाति जनगणना की जरूरत है। राजीव गांधी जब महिला आरक्षण बिल ला रहे थे तो 7 लोगों ने इसका विरोध किया जिसमे बीजेपी के सांसद थे। लेकिन हमने समर्थन किया इस बिल का बिना किसी कंडीशन के।
- इस देश के सर्वोच्च पद पर बैठे 90 आईएएस अधिकारियों में सिर्फ 3 अनुसूचित जनजाति के हैं और इसलिए जाति जनगणना जरूरी है क्युकी अनुमान के अनुसार 51 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी है।
- बीजेपी की महिला सांसद जब हाथरस कांड होता है तो ये चुप रहती हैं, ये चिन्मयानंद के मामले में चुप रहती हैं, ये मणिपुर मामले पर चुप रहती हैं, इनकी चुप्पी अंकिता भंडारी के मामले में भी नही टूटती है।