सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर गुजरात भारत का ही नहीं बल्कि इस पूरी पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार चन्द्रमा, राजा दक्ष प्रजापति के दामाद थे और उनका विवाह दक्ष प्रजापति की 27 बेटियों से हुआ था। चन्द्रमा रोहिणी नाम की बेटी से सबसे अधिक प्यार करते थे और यह कारण राजा दक्ष की बाकि बेटियों पर ध्यान नहीं देते थे। इससे क्रोधित होकर राजा दक्ष ने चन्द्रमा को श्राप दिया था । जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर शिव की तपस्या कर श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। लोक कथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ़ गया।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।
मंदिर का शिखर 150 फुट ऊंचा है। इसके शिखर पर स्थित कलश का भार दस टन है और इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है। इसके अबाधित समुद्री मार्ग- त्रिष्टांभ के विषय में ऐसा माना जाता है कि यह समुद्री मार्ग परोक्ष रूप से दक्षिणी ध्रुव में समाप्त होता है। यह हमारे प्राचीन ज्ञान व सूझबूझ का अद्भुत साक्ष्य माना जाता है।
सोमनाथ मंदिर पर कई आक्रमण हुए, लेकिन आज भी है शिव का साक्षात् वैभव
यह मंदिर गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित है. बताते हैं कि अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा था। जिससे प्रभावित होकर आक्रांता महमूद गजनवी ने सन 1025 में मंदिर पर हमला किया, गजनवी ने मंदिर की सम्पत्ति लूटी और उसे तकरीबन नष्ट कर दिया था। उस हमले की भयावहता को लेकर बताते हैं कि करीब 5,000 लोगों के साथ गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था। मंदिर की रक्षा करते करते उस वक्त हजारों लोगों की जान गई जो आस पास के गांव में रहते थे। मंदिर को मुगल शासक औरंगजेब की क्रूरता का सामना भी करना पड़ा. औरंगजेब के वक्त सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ा गया. पहली बार सन 1665 में मंदिर तोड़ा।
प्रमुख आकर्षण (सोमनाथ के आस पास)
सोमनाथ बीच (somnath beach)
सोमनाथ बीच अपने आप को आराम करने और आराम करने के लिए काफी अद्भुत जगह है. यह ध्यान देने योग्य है कि उच्च और हिंसक लहरों के कारण इस जगह के आसपास के पानी को तैरने के लिए बिल्कुल अनुशंसित नहीं किया जाता है. यहा शाम के समय सनसेट का नजारा अद्भुत होता है.
पंच पांडव गुफा (panch pandav gufa)
बाबा नारायणदास नामक एक संत द्वारा खोजा गया, यह स्थान पांच पांडव भाइयों को समर्पित है. यह जानना वास्तव में दिलचस्प है कि. इस जगह से पूरे शहर का नजारा आसानी से देखा जा सकता है.
लक्ष्मीनारायण मंदिर (lakshmi narayana temple )
इस मंदिर की प्रमुख विशेषता यह है कि, यह उन 18 स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है. जिन पर भगवद्गीता के शिलालेख उकेरे गए हैं.
चोरवाड़ बीच (chorwad beach)
यह कहना गलत नहीं होगा कि, चोरवाड़ बीच वास्तव में गुजरात में अनुभव करने के लिए सबसे सांस्कृतिक रूप से संपन्न स्थानों में से एक है. हालाँकि, इस जगह का पानी भी तैरने के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं है.
सूरज मंदिर (surya mandir)
त्रिवेणी घाट के पास स्थित यह वास्तव में यहां स्थित एकमात्र सूर्य मंदिरों में से एक है. आध्यात्मिक रूप से प्रवृत्त किसी को भी इस स्थान की आभा पसंद आएगी.
अहिल्या बाई का मंदिर – इस मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 18वीं शताब्दी के अंत में करवाया था. सोमनाथ मंदिर के दाईं ओर एक संकरी गली है जो एक छोटे से गुंबददार मंदिर की ओर जाती है. इस मंदिर के अन्दर एक शिवलिंग है. कुछ लोगों का मानना है कि, यहां का शिवलिंग सोमनाथ का मूल शिवलिंग है.